होम देश What was Madras HC decision which was overturned by SC AIDMK MP was also fined Rs 10 lakh क्या था मद्रास HC का फैसला, जिसे SC ने पलट दिया; AIDMK सांसद पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया, India News in Hindi

What was Madras HC decision which was overturned by SC AIDMK MP was also fined Rs 10 lakh क्या था मद्रास HC का फैसला, जिसे SC ने पलट दिया; AIDMK सांसद पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया, India News in Hindi

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सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता AIADMK सांसद सी वी शन्मुगम को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री को विशेष रूप से निशाना बनाना अनुचित है। कोर्ट ने कहा कि दूसरे राज्यों में भी ऐसी योजनाएं चल रही हैं।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानWed, 6 Aug 2025 01:42 PM

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए मद्रास हाईकोर्ट के 31 जुलाई के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें जीवित राजनेताओं या पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम पर सरकारी योजनाएं चलाने पर रोक लगा दी गई थी। इस फैसले को पलटते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता AIADMK सांसद सी वी षणमुगम को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री को विशेष रूप से निशाना बनाना अनुचित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के कई अन्य राज्यों में भी ऐसी योजनाएं चल रही हैं।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने तमिलनाडु सरकार को जानबूझकर निशाना बनाया है। अन्य राज्यों में भी समान योजनाएं चल रही हैं, लेकिन उनको लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई गई। यह याचिका राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित लगती है, ना कि जनहित के उद्देश्य से।

10 लाख का जुर्माना ठोका

सुप्रीम कोर्ट ने सांसद सीवी षणमुगम पर 10 लाख का जुर्माना लगाया है। यह राशि राज्य सरकार के पास जमा कराई जाएगी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह रकम गरीबों और वंचितों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के हित में खर्च की जाए।

आपको बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट ने जुलाई 2023 में आदेश जारी करते हुए कहा था कि राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से जीवित नेताओं के नाम पर सरकारी योजनाएं नहीं चलाई जानी चाहिए। इस आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जहां उसे जीत मिली है।

सांसद षणमुगम ने सरकार के जनसंपर्क कार्यक्रम ‘उंगलुदन स्टालिन’ (आपके साथ, स्टालिन) के नामकरण और प्रचार को चुनौती देते हुए आरोप लगाया था कि यह स्थापित मानदंडों का उल्लंघन करता है।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया था कि आदेश राज्य को किसी भी कल्याणकारी योजना को शुरू करने, लागू करने या संचालित करने से नहीं रोकता है लेकिन उसने कहा कि पाबंदियां केवल ऐसी योजनाओं से जुड़े नामकरण और प्रचार सामग्री पर लागू होती हैं।

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