तेजस्वी-पप्पू तनातनी और पुराना इतिहास
कांग्रेस की रणनीति: इस्तेमाल या बोझ?
वहीं, बिहार की राजनीति में पप्पू यादव भी तेजस्वी यादव के नेतृत्व को कई बार चुनौती देते हुए दिखते हैं. खुद को यादवों के नेता के तौर पर प्रस्तुत करते रहे हैं जिसको आरजेडी किसी भी परिस्थिति में स्वीकार करने को तैयार नहीं है. वहीं, कांग्रेस ने उन्हें अपने पाले में लाक अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की, लेकिन महागठबंधन में राजद की प्रमुखता के कारण कांग्रेस को सीट-बंटवारे में कमजोर भूमिका मिल रही है. कुछ जानकारों का मानना है कि कांग्रेस पप्पू की लोकप्रियता का फायदा उठाकर राजद से ज्यादा सीटें चाहती है. दूसरी ओर राजनीति के जानकार यह भी कहते हैं कि- कांग्रेस पप्पू यादव को अपने साथ होने का आभास कराते हुए आरजेडी पर दबाव की राजनीति कर रही है. ऐसे में पप्पू यादव को कांग्रेस इस्तेमाल कर रही है. कांग्रेस, पप्पू यादव का इस्तेमाल राजद पर दबाव बनाने के लिए कर रही है. यह इसलिए भी कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने अपनी सियासी ताकत दिखा दी थी.
पप्पू की बगावत और कांग्रेस की दुविधा
एनडीए का तंज और सियासी समीकरण
एनडीए इस स्थिति का फायदा उठाते हुए पप्पू यादव पर तंज कस रही है, उन्हें “डगरा पर का बैंगन” बता रही है. बीजेपी का कहना है कि पप्पू न तो कांग्रेस के साथ पूरी तरह फिट बैठते हैं और न ही महागठबंधन में स्वीकार्य हैं. दूसरी ओर पप्पू यादव की पूर्णिया और कोसी-सीमांचल में मजबूत पकड़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. खासकर युवाओं और पिछड़े वर्गों में उनकी लोकप्रियता सियासी तौर पर प्रासंगिक बनाए रखती है. हालांकि, फिर सवाल यही है कि क्या वह तेजस्वी यादव को चुनौती देते हुए महागटबंधन में रह पाएंगे.पप्पू यादव कांग्रेस को अलग लड़ने के लिए भी कई बार प्रेरित करते दिखते हैं, शायद इसके लिए राहुल गांधी अभी तैयार नहीं दिखते हैं.
क्या है पप्पू यादव का भविष्य?
पप्पू यादव के सामने सियासी धर्मसंकट है, जो उन्होंने अपने ताजा बयान में भी जाहिर किया है. अगर वह महागठबंधन में रहते हैं तो तेजस्वी यादव के नेतृत्व को स्वीकार करना होगा जो उनके लिए मुश्किल है. दूसरी ओर कांग्रेस के लिए वह एक ताकत भी हैं और चुनौती भी. अगर कांग्रेस उन्हें पूरी तरह नजरअंदाज करती है तो वह निर्दलीय या नई पार्टी के साथ बगावत कर सकते हैं जैसा कि उन्होंने 2015 में जन अधिकार पार्टी बनाकर किया था. ऐसे में 2025 के विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव की भूमिका महागठबंधन की एकता और बिहार की सियासत को प्रभावित कर सकती है. ऐसे में सवाल यही है कि पप्पू यादव की राजनीति वास्तव में किस स्थिति में है. क्या वाकई में वह कांग्रेस के लिए बोझ हैं या फिर वह इस्तेमाल हो रहे हैं, या फिर यह सब सियासत के पेच भर हैं और आने वाले समय में फिर से सब एक हैं!