होम नॉलेज नदी में लालटेन, कबूतर, सायरन और मौन… जापान के लोग हिरोशिमा दिवस कैसे मनाते हैं?

नदी में लालटेन, कबूतर, सायरन और मौन… जापान के लोग हिरोशिमा दिवस कैसे मनाते हैं?

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जापान में हिरोशिमा दिवस की शुरुआत सुबह 8.15 बजे मौन के साथ होती है.Image Credit source: Getty Images

6 अगस्त 1945 की सुबह अमेरिकी बी-29 बॉम्बर विमान एनोला गे जापान के हिरोशिमा शहर पहुंचता है. सुबह 8.15 बजे परमाणु बम लिटिल बॉय को गिराता है और 43 सेकंड में 4 हजार डिग्री सेल्सियस में सब जलकर तबाह हो जाता है. 70 हजार मौतें तत्काल होती हैं और रेडिएशन के कारण मौतों का सिलसिला आगे भी जारी रहता है. कुल मिलाकर यह बम डेढ लाख जिंदगियां लील जाता है.

कई पीढ़ियां में कैंसर, ल्यूकेमिया साथ ही पैदा होने वाले बच्चों में जन्मजात विकृतियां देखी गईं. हिरोशिमा के लोग उस त्रासदी की गवाही देते हैं, जिसे उनके परिवारों ने झेला. जापान के लोग हर साल उस त्रासदी को याद करते हैं, जिसे हिरोशिमा दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

सुबह 8:15 बजे सायरन के साथ मौन की शुरुआत

जापान के शांत शहर कहलाने वाले हिरोशिमा में 6 अगस्त 1945 को 8 बजकर 15 मिनट पर बम गिराया गया, इसलिए उसी समय को मौन के लिए चुना गया. हिरोशिमा पीस मेमोरियल पार्क में लोग पहुंचते हैं और सुबह 8:15 बजे सायरन बजता है. सायरन भले ही पार्क में बजता है लेकिन जो जहां पर भी होता है वो एक मिनट का मौन रखता है.

Hiroshima Peace Memorial

हिरोशिमा पीस मेमोरियल. फोटो: Getty Images

शांति समारोह का आयोजन होता है, जिसमें देश के प्रधानमंत्री, अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि और इस हमले का दंश झेलने के परिवार हिस्सा लेते हैं. बच्चे और नागरिक शांति के गीत गाते हैं. पीस मेमोरियल पार्क में शांति की घंटी बजाई जाती है और लोग परमाणु मुक्त और जंग मुक्त दुनिया दुनिया की प्रार्थना करते हुए नजर आते हैं.

हिरोशिमा के मेयर और जापानी के प्रधानमंत्री शांति का संदेश देते हैं. उस घटना को याद करते हैं. एक तरह से पूरी दुनिया के लिए यह संदेश जाता है कि एक परमाणु बम कैसे पीढ़ियों तक जख्म देता है जिससे उबरना नामुमकिन-सा होता है.

Hiroshima Day 2025 Celebration

हिरोशिमा दिवस पर जापान में शांति के प्रतीक कहे जाने वाले कबूतर छोड़े जाते हैं. फोटो: Getty Images

सफेद कबूतर और कागज की सारस

जापान के हिरोशिमा समेत कई हिस्सों में सुबह सफेद कबूतर छोड़े जाते हैं. इन्हें शांति का प्रतीक माना जाता है और उसी शांति को बरकरार रखने के लिए इन्हें आजाद किया जाता है. जापान को ऑरिगेमी के लिए भी जाना जाता है. ऑरिगेमी यानी कागज से तरह-तरह की आकृतियां बनाना, जैसे- चिड़िया, मेढ़क और नाव.

Paper Crane

जापान की इस खूबी का असर हिरोशिमा दिवस पर भी दिखता है. लोग कागज के सारस बनाकर उसे स्मारक पर अर्पित करते हैं. इसे यहां शांति का प्रतीक माना जाता है. इसकी भी एक कहानी है. जापान में सदाको सासाकी नाम की लड़ी ने हिरोशिमा में बमबारी के बाद 1 हजार पेपर क्रेन बनाई थीं, जो परंपरा आज भी कायम है.

नदी में बहते लालटेन

हिरोशिमा डे पर दिनभर अलग-अलग तरह के कार्यक्रम होते हैं, इसके बाद शाम को लोग नदी के किनारे पर पहुंचते हैं. पानी में तैरने वाली लालटेन छोड़ी जाती है. इसे Lantern Floating Ceremony के नाम से जाना जाता है. लालटेन के जरिए मृतकों की आत्मा की शांति और दुनिया परमाणु मुक्त बने, इसकी कामना की जाती है. इसके साथ ही लोग अपने अनुभव और संवेदनाओं को व्यक्त करते हैं.

Lantern Floating Ceremony (1)

हिरोशिमा दिवस सिर्फ शोक का दिन नहीं

जापान के लिए हिरोशिमा की घटना और उसकी याद में मनाया जाने वाला यह दिन सिर्फ शोक का दिन नहीं है. यह दुनिया को जंग और परमाणु हथियारों से दूर करने के लिए संकल्प का दिन भी है. जापान के शांति आयोजनों और कोशिशों ने इस दिन को वैश्विक शांति और शिक्षा के प्रतीक के तौर पर बदल दिया है.

यह भी पढ़ें: हिरोशिमा में जिस परमाणु बम से 1.5 लाख मौतें,उसे अमेरिका ने कैसे बनाया?

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