लोन फ्रॉड मामले में रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी से मंगलवार को ईडी की पूछताछ पूरी हो गई। यह मामला 17000 करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन का है। इसी मामले में अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी हुआ है।
लोन फ्रॉड मामले में जांच एजेंसी ईडी ने रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी का बयान दर्ज कर लिया है। मंगलवार को करीब 10 घंटे की पूछताछ में अनिल अंबानी से लोन ट्रांजैक्शन से संबंधित तीखे सवाल पूछे गए। इसके बाद उन्हें कुछ जरूरी डॉक्युमेंट सब्मिट करने को भी कहा गया है। इसके लिए अनिल अंबानी ने 7 दिनों का समय मांगा है। बता दें कि दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में अनिल अंबानी से पूछताछ हुई। वह मुंबई से चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली आए थे।
क्या है मामला
यह मामला रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अनिल अंबानी की कई कंपनियों द्वारा वित्तीय अनियमितताओं और 17000 करोड़ रुपये से अधिक के लोन की रकम के हेरफेर से संबंधित है। इस मामले में ईडी ने अनिल अंबानी के खिलाफ एक लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) भी जारी किया है। इसके साथ ही, रिलायंस समूह के कुछ अधिकारियों को भी पूछताछ के लिए तलब किया गया है।
मुख्य तौर पर 2 आरोप
पहला आरोप यस बैंक से जुड़ा है। जांच एजेंसी को शक है कि साल 2017 और 2019 के बीच यस बैंक द्वारा अंबानी समूह की कंपनियों को दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के लोन का गलत इस्तेमाल हुआ है। ईडी इन कंपनियों को यस बैंक द्वारा लोन स्वीकृतियों में घोर उल्लंघन के आरोपों की जांच कर रहा है। कथित तौर पर इन लोन को संबंधित संस्थाओं द्वारा कई समूह कंपनियों और शेल कंपनियों में भेजा गया।
इसी तरह, दूसरे आरोप में सेबी की एक रिपोर्ट के आधार पर जांच हो रही है। आरोप है कि रिलायंस इंफ्रा ने सीएलई नामक एक कंपनी के माध्यम से रिलायंस समूह की कंपनियों में अंतर-कॉरपोरेट जमा (आईसीडी) के रूप में गुप्त रकम का हेरफेर किया।
अर्श से फर्श पर
अनिल अंबानी एक दौर में दुनिया के बड़े अरबपतियों में शुमार थे। भाई मुकेश से बंटवारे के बाद शुरुआती दौर में अनिल के नेतृत्व में रिलायंस ग्रुप ने टेलीकॉम, एनर्जी, फाइनेंस सर्विसेज और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में तेजी से विस्तार किया। हालांकि, बाद में उनके कारोबारी फैसलों और आर्थिक परिस्थितियों ने इस चमक को धूमिल कर दिया।