ईरान इजराइल के साथ लड़े गए 12 दिनों की जंग के बाद से अपने सुरक्षा को मजबूत करने में लगा है. ईरान की हालिया कार्रवाई से लग रहा है कि उसको इजराइल या अमेरिका से ज्यादा खतरा अफगान नागरिकों से हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2025 तक 13 लाख से ज़्यादा अफगान शरणार्थियों को ईरान छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है. कई लोगों के लिए, अफगानिस्तान लौटने का मतलब तालिबान शासन के तहत अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना है.
ईरान यही नहीं रुक रहा है, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के नेताओं ने तालिबान से ब्रिटेन की मदद करने वाले अफगानों की लीक हुई लिस्ट मांगी है, ताकि वे MI6 जासूसों का पता लगा सकें. ईरान सरकार को उम्मीद है कि वह ब्रिटिश सेना के साथ काम करने वाले लगभग 25 हजार अफगानों की सूची की जांच करेगी, ईरान का मानना है कि वे इस लिस्ट के जरिए परमाणु वार्ता से पहले पश्चिम पर प्रभाव बढ़ा सकता है.
तथाकथित ‘किल लिस्ट’ में उन अफगानों के नाम शामिल हैं जो शरण के लिए आवेदन कर रहे थे , जिनमें ब्रिटिश सेना, खुफिया एजेंसियों और खास बलों के साथ काम कर चुके सैनिक भी शामिल हैं. माना जाता है कि कुछ लोग बाद में ईरान भाग गए थे. ईरान का मानना है कि इन्हीं में से कई लोग ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी के लिए ईरान में जासूसी कर रहे हैं.
लिस्ट वाले नामों को ढूंढ-ढूंढ के अफगान भेज रहा ईरान
टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक इस बात के संकेत मिले हैं कि तालिबान और ईरान सरकार इस मुद्दे पर पहले से साथ काम कर रहे हैं और कम से कम एक अफगान नागरिक, जिसका नाम कथित तौर पर सूची में था, को पिछले कुछ दिनों में ईरान से काबुल भेज दिया गया है.
टेलिग्राफ की रिपोर्ट में वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने पुष्टि की है कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने औपचारिक रूप से तालिबान सरकार से लीक लिस्ट मागी है. माना जा रहा है इस लिस्ट के आधार पर MI6 की खुफिया एजेंसियों जुड़े लोगों को प्राथमिक्ता दी जाएगी.
अधिकारी ने ये भी खुलासा किया है कि ईरान अपने स्तर पर भी इस सूची को खोजने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए एक विशेष समिति गठित की गई है. इस मुद्दे पर तेहरान और काबुल के बीच सहयोग पर चर्चा हुई है क्योंकि इससे दोनों देशों को पश्चिम के साथ बातचीत में मदद मिल सकती है.
ब्रिटेन पर बढ़ाएंगे दबाव
इस सूची के आधार पर दोनों देश ब्रिटेन के ऊपर दबाव बना सकते हैं. क्योंकि ब्रिटेन अवैध तरीके से अफगानियों का इस्तेमाल ईरान में जासूसी के लिए कर रहा है. खबरों के मुताबिक करीब 25 हजार अफगान नागरिक ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी M16 के लिए काम कर रहे हैं.
टेलीग्राफ ने अपनी खबर में बताया कि कंधार में तालिबान नेतृत्व ने काबुल में अधिकारियों को लीक हुए दस्तावेजों के आधार पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है, ताकि लंदन पर कूटनीतिक दबाव बनाने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सके. फरवरी 2022 में डेटाबेस गलती से लीक हो गया था, जब एक रॉयल मरीन ने एक छोटा सा अंश भेजने के बजाय पूरी फाइल ब्रिटेन में अफगान संपर्कों को ईमेल कर दी थी.
लीक लिस्ट में क्या-क्या है?
स्प्रेडशीट में उन अफगान सैनिकों, सरकारी वर्कर और परिवार के सदस्यों के नाम, टेलीफोन नंबर और ईमेल पते शामिल हैं, जिन्होंने 2021 में पश्चिमी सैन्य वापसी के बाद अफगान पुनर्वास और सहायता नीति के तहत ब्रिटेन में स्थानांतरित होने के लिए आवेदन किया था. लिस्ट में 100 से ज्यादा ब्रिटिश विशेष बल कर्मियों और MI6 एजेंटों की पहचान भी शामिल है, जिन्होंने अफगान आवेदकों के लिए जमानत दी थी.