अस्पताल में ऐडमिट होने से कुछ दिन पहले भी सत्यपाल मलिक ने एक इंटरव्यू दिया था। इसमें उन्होंने पहलगाम हमले को लेकर बयान दिया था। मलिक ने कहा था कि अगर पुलवामा से सबक लेते तो यह हमला ना होता।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक बीते कुछ सालों से मोदी सरकार के खिलाफ काफी मुखर हो गए थे। वह किसान, आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर केंद्र की एनडीए सरकार सरकार पर हमला बोलते थे। आखिरी इंटरव्यू में तो उन्होंने सीधा पीएम मोदी पर अटैक किया था। अस्पताल में ऐडमिट होने से कुछ दिन पहले ही उन्होंने एक न्यूज वेबसाइट को इंटरव्यू दिया था जिसमें मलिक ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर कई बातें कही थीं। सत्यपाल मलिक ने कहा था कि सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही की वजह से यह आतंकी हमला हुआ है।
आखिरी इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार को बेशर्म और कायर तक कह डाला था। 2019 में जब पुलवामा अटैक हुआ था तब सत्यपाल मलिक ही जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने तक वह राज्यपाल थे। इसके अलावा उन्होंने बिहार, मेघालय, गोवा और ओडिशा के राज्यपाल के तौर पर भी सेवाएं दीं।
सत्यपाल मलिक ने कहा था कि सुरक्षा में चूक की वजह से ही पुलवामा का हमला हुआ और 40 अर्द्धसैनिक बलों की जान चली गई। मलिक ने कहा था कि उन्होंने सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी लेकिन उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया। वहीं केंद्र सरकार उनके दावों को खारिज करती रही।
2020-21 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के दौरान सबसे पहले सरकार और उनके बीच मतभेद सार्वजनिक हुए थे। सत्यपाल मलिक ने कहा था कि किसानों का समर्थन करने के लिए वह राज्यपाल का पद भी छोड़ने को तैयार हैं। मेघालय के राज्यपाल के तौर पर 2022 में कार्यकाल खत्म होने के बाद सत्यपाल मलिक ने कई इंटरव्यू में मोदी सरकार के खिलाफ बयान दिए।
वहीं अस्पताल पहुंचने से कुछ दिन पहले ही एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस सरकार ने पुलवामा हमले से सबक नहीं लिया और इसीलिए पहलगाम का आतंकी हमला हुआ। सत्यपाल मलिक ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। बाद में सिन्हा ने भी एक कार्यक्रम के दौरान पहलगाम में सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी ली थी।
पहलगाम हमले के बाद 6 मई को प्रकाशित हुए एक इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों कि गिरफ्तारियों के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार हिंदू-मुस्लिम की राजनीति कर रही है और इससे समाज का माहौल खराब हो रहा है। उन्होंने कहा था कि पहलगाम हमले के बाद कश्मीरी मुसलमानों ने भी इसका विरोध किया है लेकिन प्रधानमंत्री ने उनकी तारीफ में एक शब्द भी नहीं कहा, क्योंकि एक खास समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।