रूस के हमलों का सामना करने के लिए यूक्रेन अब इंटरसेप्टर ड्रोन का सहारा ले रहा है.
यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस ने लड़ाई में तमाम प्रयोग किया पर अब वह चीजों को एक अलग ही स्तर पर ले जा रहा है. इसके लिए उसने यूक्रेन पर ड्रोन से हमला किया है. केवल जुलाई में ही कीव, खारकीव, ओदेसा और अन्य शहरों समेत यूक्रेन पर छह हजार से ज्यादा ड्रोन लांच किए. इससे दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों जख्मी हुए हैं. साल 2022 में युद्ध की शुरुआत से अब तक एक महीने में यह सबसे बड़ा ड्रोन हमला था. केवल नौ जुलाई को रूस ने ईरान में बने शाहेद ड्रोन से यूक्रेन पर 700 हमले किए. रूस के इन हमलों का सामना करने के लिए यूक्रेन अब इंटरसेप्टर ड्रोन का सहारा ले रहा है. आइए जान लेते हैं कि क्या होता है इंटरसेप्टर ड्रोन और रूस के जिस ड्रोन से इसका मुकाबला है, वह कितना खास है?
पिछले महीने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने देश की कंपनियों से आग्रह किया था कि इन इंटरसेप्टर ड्रोन का निर्माण और उत्पादन बढ़ाएं. उन्होंने कहा कि मैंने निर्माताओं के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है. हमारा आग्रह 1000 इंटरसेप्टर प्रतिदिन का है.
क्या होता है इंटरसेप्टर ड्रोन?
आमतौर पर ड्रोन को अनमैंड एरियल व्हीकल (यूएवी) के रूप में जाना जाता है. वहीं, इंटरसेप्टर ड्रोन ऐसे यूएवी हैं, जिनका निर्माण दूसरे ड्रोन और अन्य हवाई खतरों का पता लगाने, फॉलो करने और डिस्ट्रॉय करने के लिए किया जाता है. इन ड्रोन का निर्माण सक्रिय रूप से खतरों का सामना करने के लिए किया जाता है. ये स्वायत्त रूप से या अर्धस्वायत्त रूप से काम करते हैं.
इनमें एडवांस्ड सेंसिंग, ऑटोनॉमस नेविगेशन जैसे फीचर्स होते हैं, जो टारगेट का स्वत: पता लगाकर तेज गति से काम करने के लिए इन्हें सक्षम बनाते हैं. इन्हें नेट लांचर्स, इलेक्ट्रॉनिक जैमर्स आदि से लैस किया जाता है. इनकी क्षमता एडवांस्ड नेविगेशन तकनीक जैसे एआई क्षमता युक्त नेविगेशन सिस्टम से और भी बढ़ाई जाती है.

इंटरसेप्टर ड्रोन को उड़ता हुआ बम भी कहा जा सकता है क्योंकि ये दुश्मन के हथियारों से टकरा जाते हैं या विस्फोटक का इस्तेमाल करके उसे ध्वस्त कर देते हैंं. फोटो: Les Kasyanov/Global Images Ukraine via Getty Images
आम यूएवी से छोटे होते हैं ये ड्रोन
इंटरसेप्टर ड्रोन वास्तव में दूसरे यूएवी के मुकाबले छोटे और तेज होते हैं. इससे इन्हें खतरों का पता लगाने और प्रतिक्रिया करने में आसानी होती है. खतरों का पता लगाने के लिए अपने रडार, स्पॉटर्स या सेंसर्स का इस्तेमाल करते हैं. इनमें से कुछ को देश के एयर डिफेंस नेटवर्क से कनेक्ट किया जाता है. इससे इन ड्रोन को वास्तविक समय में मिसाइल सिस्टम या ग्राउंड बेस्ड रडार सिस्टम के जरिए खतरों का मुकाबला करने की सहूलियत मिलती है. एक बार जब इन ड्रोन को दुश्मन यूएवी का पता चल जाता है तो वे या तो खुद ही उससे टकरा जाते हैं या फिर नेट और विस्फोटक का इस्तेमाल कर दुश्मन को धराशायी कर देते हैं.
सामान्य ड्रोन के मुकाबले महंगे होते हैं ये
ये इंटरसेप्टर ड्रोन तब और प्रभावशाली होते हैं, जब वे स्वत: काम करते हैं. वास्तव में अगर एक साथ 700 ड्रोन का इस्तेमाल करना है तो 700 ऑपरेटर्स की जरूरत पड़ेगी पर स्वायत्त ड्रोन के मामले में इससे राहत मिलती है. यूक्रेनी सैनिकों को इंटरसेप्टर ड्रोन चलाने में मदद करने वाली कंपनी डिज्नीटस के सीईओ ल्यूबा शिपोविच के अनुसार, जब भारी मात्रा में ड्रोन से हमला करना हो तो उतने ऑपरेटर्स जुटाना आसान नहीं होता.
ऐसे में एआई की मदद से एक साथ बड़ी संख्या में इंटरसेप्टर ड्रोन का इस्तेमाल बिना किसी सीमा के किया जा सकता है. हालांकि, ये ड्रोन आम ड्रोन के मुकाबले महंगे होते हैं पर दूसरे एयर डिफेंस सिस्टम के मुकाबले इन पर कम खर्च आता है. उदाहरण के लिए एक एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल की लागत करीब 8.5 करोड़ रुपए आती है, जबकि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल पर 34.98 लाख से 87 लाख रुपए के बीच खर्च आता है. वहीं, एक इंटरसेप्टर ड्रोन की लागत साढ़े चार लाख रुपए तक होती है.

यूक्रेन के इंटरसेप्टर ड्रोन का मुकाबला रूस की तरफ से छोडे जा रहे शाहेद ड्रोन से है.फोटो: Les Kasyanov/Global Images Ukraine via Getty Images
ईरान में बने शाहेद ड्रोन से है मुकाबला
यूक्रेन के लिए ये ड्रोन इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि उसका मुकाबला ईरान में बने रूस के शाहेद ड्रोन से है, जो यूक्रेन के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं. रूस जिन शाहेद ड्रोन का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ कर रहा है, उनमें जेट इंजन का इस्तेमाल किया गया है. इससे इनकी रफ्तार काफी तेज होती है. रूस में शाहेद ड्रोन को गेरान-3 के नाम से जाना जाता है. इनकी रेंज भी काफी होती है. रूस की रणनीति है कि अधिक से अधिक संख्या में शाहेद ड्रोन का इस्तेमाल कर यूक्रेन के सुरक्षाकर्मियों को हतोत्साहित किया जा सके.
रूस ने कई गुना बढ़ा दिया है ड्रोन से हमला
इसीलिए रूस ने इस साल जुलाई (जुलाई 2025) में लंबी रेंज वाले 6,297 ड्रोन से यूक्रेन को निशाना बनाया. यह संख्या साल 2024 में रूस द्वारा भेजे गए 400 ड्रोन के मुकाबले करीब 14 गुना ज्यादा है. यही नहीं, अपनी रणनीति के तहत एक से 20 जून के बीच रूस ने यूक्रेन पर 3681 शाहेद ड्रोन और फर्जी यूएवी से हमला किया. इससे यूक्रेन की रक्षा पंक्ति में एक तरह से खलबली मच गई. इससे पहले पिछले साल रूस हर महीने औसतन 600 यूएवी से हमला करता रहा था. विशेषज्ञों का कहना है कि ये केवल अनुमान हैं और वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है.
दोनों देश बढ़ा रहे उत्पादन क्षमता
इससे भी एक कदम आगे जाकर रूस अब अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर करीब 100 ड्रोन रोज बनाने जा रहा है. ये जमीन से दो से चार किमी ऊपर उड़ते हैं, जिससे सतह से की जाने वाली गोलीबारी की रेंज में नहीं आते. इसीलिए अब यूक्रेन भी साल भर में लंबी रेंज के 30 हजार ड्रोन और दो मिलियन फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन का निर्माण करने जा रहा है.
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