कोयलांचल के लोगों के दिलों में आज भी दिशोम गुरु का स्थान अमिट है. उन्होंने कोयला मंत्री के रूप में जो कार्य किये, वे न केवल मजदूर हितैषी थे, बल्कि दूरगामी प्रभाव डालने वाले भी साबित हुए. कोयला उद्योग में काम करने वाले लाखों मजदूरों के हित में पूर्व कोयला मंत्री शिबू सोरेन द्वारा लिये गये दो ऐतिहासिक निर्णय आज भी कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए एक वरदान की तरह है. कोयला मंत्री रहते हुए श्री सोरेन ने पहला बड़ा फैसला था कोल इंडिया के स्टैंडिंग ऑर्डर की ””””””””धारा 28”””””””” को खत्म करने का. इस धारा के तहत कोल कंपनियों के पास यह विशेष अधिकार था कि वे किसी भी कर्मचारी को मामूली लापरवाही या आरोपों के आधार पर सीधे डिसमिस यानी बर्खास्त कर सकते थे.
हजारों डिसमिस कर्मचारियों की सेवा में पुनः हुई बहाली :
दूसरा महत्वपूर्ण फैसला था ””””””””लोंग अपसेंटिंग”””””””” के तहत डिसमिस कर्मचारियों की सेवा में पुनः बहाली. लंबे समय तक अनुपस्थित रहने के कारण बड़ी संख्या में मजदूरों को सेवा से हटा दिया गया था. इस मसले को गंभीरता से लेते हुए कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों को आदेश दिया कि वे मानवता के आधार पर इन मजदूरों को पुनः बहाल करें. इसके चलते हजारों परिवारों को दोबारा जीविका का सहारा मिला.
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