होम देश Win Your Child Heart with Love Not Litigation Anantnag Court strong Message to Father बच्चे का दिल प्यार से जीतो, मुकदमे से नहीं; पिता की याचिका पर जज की नसीहत, India News in Hindi

Win Your Child Heart with Love Not Litigation Anantnag Court strong Message to Father बच्चे का दिल प्यार से जीतो, मुकदमे से नहीं; पिता की याचिका पर जज की नसीहत, India News in Hindi

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पिता ने अपने बच्चे की कस्टडी मांगी थी, लेकिन बच्चे ने पिता के साथ रहने से साफ इन्कार कर दिया। कोर्ट ने पिता की याचिका खारिज की और नसीहत दी कि बच्चे का दिल प्यार जीतो, मुकदमे से नहीं।

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में एक अदालत ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया जिसने सभी का दिल छू लिया। एक पिता ने अपने 10 साल के बेटे की कस्टडी और स्कूल बदलवाने के लिए अदालत में याचिका दी थी, लेकिन बच्चे ने कहा कि वह अपने पिता से मिलना ही नहीं चाहता। अदालत ने भी पिता की याचिका खारिज कर दी और टिप्पणी करते हुए कहा कि “बेटे का दिल प्यार से जीतिए, मुकदमे से नहीं।”

बार एंड बेंच में छपि खबर के मुताबिक, कोर्ट ने बच्चे से अकेले में और खुले अदालत कक्ष में बातचीत की। बच्चा कक्षा 3 में पढ़ता है। उसने अपने बयान में कहा– “मैं अपने पापा से नहीं मिलना चाहता।” अदालत ने इस पर कहा कि बच्चे को जबरदस्ती पिता के पास भेजना उसके साथ मानसिक ज़ुल्म जैसा होगा। अदालत ने यह फैसला 31 जुलाई को सुनाया और पिता की कस्टडी व विजिटेशन राइट्स से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दीं।

जज की टिप्पणी

मुख्य जिला न्यायाधीश ताहिर खुर्शीद रैना ने कहा, “बच्चा कोई सामान नहीं जिसे माता-पिता अपनी इच्छा से इधर-उधर करें। इस कोर्ट का काम है बच्चे का भला सोचना, ना कि किसी पक्ष की जिद पूरी करना। बेटा आपको मुकदमे से नहीं, बल्कि आपके प्यार से मिलेगा। प्यार को एक मौका दीजिए, मुकदमे को नहीं।”

मां की तारीफ

कोर्ट ने इस बात की भी सराहना की कि मां अब भी अपने बेटे को उसके पिता से मिलने के लिए समझाने की कोशिश कर रही हैं, जबकि बच्चा अपने पिता को पहचानने तक को तैयार नहीं है। कोर्ट ने पिता को सलाह दी कि वह अपने बेटे को बिना किसी शर्त, बिना गुस्से और बिना दबाव के प्यार दें। अदालत ने कहा, “पिता होना सिर्फ एक रिश्ता नहीं होता, यह त्याग, समझदारी और बच्चे के लिए हमेशा मौजूद रहने की भावना होती है।”

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परिवार के फिर से एक होने की उम्मीद

अदालत ने अंत में यह इच्छा जताई कि यह टूटा हुआ परिवार एक दिन फिर से एक हो सके। अदालत ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि बच्चा अपने माता-पिता के बीच प्यार का पुल बने, नफरत की दीवार नहीं। और वो बच्चा बड़ा होकर अपने सपनों को पूरा करे और शायद एक दिन जज भी बने।”

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