जितेंद्र आव्हाड ने सोमवार को कहा, ‘डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को स्कूल में पढ़ने नहीं दिया गया। आज भारत की 90% आबादी शूद्र है। इतिहास बताता है कि शूद्रों के साथ कैसा व्यवहार हुआ।’
एनसीपी-एससी नेता जितेंद्र आव्हाड ने सनातन धर्म पर अपने बयान को लेकर सफाई दी है। सोमवार को उन्होंने कहा, ‘मैं हिंदू हूं और मुझे हिंदू धर्म की बुराइयां पता हैं। लेकिन मुझे इस पर गर्व है क्योंकि यह बदलाव स्वीकार करता है। अगर हम बदलाव नहीं मानेंगे तो 5000 साल पीछे चले जाएंगे, जहां छुआछूत था, पानी पीने और शिक्षा का अधिकार नहीं था।’ उन्होंने पूछा कि मंदिरों में जाने से रोकने वाले कौन थे? शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक को रोकने वाले कौन थे? आव्हाण ने कहा, ‘डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को स्कूल में पढ़ने नहीं दिया गया। आज भारत की 90% आबादी शूद्र है। इतिहास बताता है कि शूद्रों के साथ कैसा व्यवहार हुआ।’
जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि आंबेडकर की वजह से आज हमारी महिलाएं घरों से बाहर निकल रही हैं। महात्मा फुले की वजह से उन्हें शिक्षा मिल रही है। उन्होंने कहा, ‘अगर मनुस्मृति हमारा संविधान होती तो ऐसा नियम होता कि महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उन्हें छोड़ दिया जाता। सनातन और हिंदू धर्म को एक नहीं समझना चाहिए।’ इससे पहले, जितेंद्र आव्हाड ने शनिवार को कहा था कि सनातनी आतंकवाद को स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं का हवाला दिया। उनके अनुसार, विचारकों और सामाजिक सुधारकों को सताया गया था और ऐसे लोगों को उन्होंने सनातनी आतंकवादी बताया।
सनातन पर क्या दिया था बयान
जितेंद्र आव्हाण ने आरोप लगाया, ‘जिन्होंने भगवान बुद्ध को परेशान किया, बौद्ध भिक्षुओं की हत्या की, छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का विरोध किया और छत्रपति संभाजी महाराज के खिलाफ षड्यंत्र रचा, वे सभी सनातनी आतंकवादी थे। जिन लोगों ने सावित्रीबाई फुले पर गोबर फेंका, महात्मा फुले का बहिष्कार किया, गोविंद पानसरे, नरेंद्र दाभोलकर, एम एम कलबुर्गी और गौरी लंकेश पर हमला किया और शोषितों को पानी देने से इनकार किया, वे सनातनी आतंकवादी थे।’ आव्हाड ने दावा किया कि जिन लोगों ने महात्मा गांधी को प्रार्थना के लिए जाते समय गोली मारी थी और जो लोग मनुस्मृति को डॉ. आंबेडकर के संविधान से अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं, वे भी वही सनातनी आतंकवादी हैं।