होम राजनीति सोनिया गांधी के सामने ‘ताबड़तोड़ तेल मालिश’ वाला लालू यादव का वो बयान जिस पर संसद में हंगामे के बीच लगे ठहाके, जानें पूरा किस्सा

सोनिया गांधी के सामने ‘ताबड़तोड़ तेल मालिश’ वाला लालू यादव का वो बयान जिस पर संसद में हंगामे के बीच लगे ठहाके, जानें पूरा किस्सा

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पटना. वर्तमान में संसद का मानसून सत्र चल रहा है और इसमें सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच कई बार तीखी नोंकझोंक भी देखने को मिल रही है. सियासी अदावत भरपूर है और टेंशन का दौर है. ऐसे में अनेकों सांसद ऐसे हैं जिनको  लालू प्रसाद यादव की कमी खलती है, क्योंकि कई बार उनकी अपनी विशिष्ट शैली के कारण सदन तनाव के माहौल में भी जो ठहाकों से गूंज उठता था. ऐसा ही किस्सा तब का है जब यूपीए गठबंधन की सरकार में सियासी खींचतान खबरें मीडिया की सुर्खियों में थी. तब विपक्ष के हमलों के बीच जब संसद का माहौल गर्म था तो और लालू यादव ने संसद में ”टीटीएम” यानी ”ताबड़तोड़ तेल मालिश” की बात छेड़कर सदन को हास्य रस से सराबोर कर दिया था. बात 2004 की है और तारीख थी 22 जुलाई. मानसून सत्र के दौरान सत्र की कार्यवाही चल रही कि इसी दौरान लोकसभा में लालू प्रसाद यादव ने अपनी हाजिरजवाबी से सियासी माहौल गरमा दिया. खूब हंगामा हुआ और सदन शोर-शराबे और ठहाकों से गूंज उठा. यूपीए सरकार के दौर में जब लालू रेल मंत्री थे तो उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को “टीटीएम” यानी “ताबड़तोड़ तेल मालिश” कहकर तंज भी कसा और उनकी रणनीतिक चातुर्य की बात भी जाहिर कर दी. लालू यादव का यह बयान 22 जुलाई 2004 को रेल बजट पर चर्चा के दौरान तब आया जब विपक्ष ने यूपीए सरकार पर “अंदरूनी सियासी दबाव” का आरोप लगाया. लालू यादव ने हंसते हुए कहा, “सोनिया जी को टीटीएम चाहिए, ताकि गठबंधन की गाड़ी चलती रहे.” यह बयान उनकी चिर-परिचित शैली में था जो हास्य और तंज का मिलाजुला अंदाज था. सदन में ठहाके लगे, लेकिन विपक्ष को लालू यादव का बयान रास नहीं आया और इसे “अशोभनीय” करार दिया.

बयान का सियासी संदर्भ

दरअसल, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार जाने के बाद वर्ष 2004 में यूपीए-1 की सरकार बनी थी जिसमें राजद एक प्रमुख सहयोगी थी. लालू यादव उस समय रेल मंत्री थे और अपने बयानों से चर्चा में रहते थे. यूपीए में कांग्रेस के नेतृत्व में कई क्षेत्रीय दल शामिल थे और गठबंधन को एकजुट रखने के लिए सोनिया गांधी की रणनीति की तारीफ और आलोचना दोनों होती थी. लालू का यादव का “टीटीएम” बयान दरअसल गठबंधन की सियासत पर एक हल्का-फुल्का तंज ही था जिसमें उन्होंने सोनिया की नेतृत्व शैली को “तेल मालिश” से जोड़ा. इसका अर्थ यह था कि गठबंधन के दलों को मनाने की कला में सोनिया गांधी काबिल थीं. लालू यादव का यह बयान विपक्ष के उस आरोप का जवाब था जिसमें कहा गया था कि सोनिया सहयोगियों पर दबाव बनाती हैं.

बयान का असर और विवाद

लालू के “टीटीएम” बयान ने संसद से लेकर सड़क तक हलचल मचाई. बीजेपी और एनडीए ने इसे सोनिया गांधी के खिलाफ अनुचित टिप्पणी बताकर हंगामा किया. बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने कहा, “यह महिला नेतृत्व का अपमान है.” वहीं, यूपीए के सहयोगियों ने इसे लालू की शैली का हिस्सा बताकर बचाव किया. सोनिया ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन उनके करीबी सूत्रों ने इसे “हल्का-फुल्का मजाक” बताया. इस बयान ने लालू की छवि को और उभार दिया और उनके मसखरे अंदाज को सदन की मान्यता भी मिलने लगी. लेकिन, कुछ हलकों में इसे असंवेदनशील माना गया.

लालू यादव ने क्यों चुनी यह शैली?

लालू यादव की हाजिरजवाबी उनकी सियासी ताकत रही है. उन्होंने हमेशा देसी अंदाज में गंभीर मुद्दों को हल्के ढंग से पेश किया है. “टीटीएम” बयान उनकी इसी शैली का हिस्सा था जिसका मकसद सदन का माहौल हल्का करना और विपक्ष के हमलों को हास्य से जवाब देना था. लालू यादव ने बाद में सफाई दी कि उनका इरादा सोनिया गांधी का अपमान करना नहीं था, बल्कि यह एक मजाक था जो गठबंधन की मजबूती को बताने के लिए था. हालांकि, बीजेपी ने इसे “महिला विरोधी” बताकर हंगामा किया और लालू से माफी की मांग की. लालू यादव ने इसे “मजाक में लिया जाए” कहकर टाल दिया.

लालू यादव और सोनिया गांधी के रिश्ते हमेशा मधुर रहे हैं.

तब का वाकया और प्रासंगिकता

लालू प्रसाद यादव ने 22 जुलाई 2004 को लोकसभा में “टीटीएम” (ताबड़तोड़ तेल मालिश) बयान सोनिया गांधी की ओर कहा था. यह तंज यूपीए-1 गठबंधन की सियासत पर था, जिसमें लालू ने सोनिया की गठबंधन दलों को मनाने की कला को मजाक में “तेल मालिश” से जोड़ा. विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए लालू ने यह हल्का-फुल्का बयान दिया, जिससे संसद में हंगामा मचा. लालू की मंशा सोनिया का अपमान नहीं, बल्कि उनकी रणनीति की तारीफ करना थी. यह उनकी हाजिरजवाबी का नमूना था. लालू यादव की आत्मकथा गोपालगंज से रायसीना में भी सोनिया के प्रति सम्मान झलकता है, लेकिन उनके तंज उनकी सियासी चतुराई का हिस्सा थे.

सोनिया-लालू यादव का रिश्ता

बता दें कि लालू यादव और सोनिया गांधी का सियासी रिश्ता हमेशा मजबूत रहा. 1990 के दशक में जब सोनिया पर “विदेशी मूल” का मुद्दा उठा तब लालू यादव उनके समर्थन में दीवार बनकर खड़े रहे. वर्ष 2004 में जब सोनिया ने मनमोहन सिंह को पीएम बनाया तब लालू यादव ने इसका स्वागत किया. लेकिन, लालू यादव इसके बावजूद अपनी अहमियत को भी कभी कम नहीं होने देना चाहते थे. और “टीटीएम” बयान से यह भी जाहिर हुआ कि वह एक बार फिर यही दिखाना चाहते थे. लालू यादव का यह बयान उस दौर में यूपीए की एकजुटता और लालू की बेबाकी का प्रतीक बन गया.

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