लद्दाख के ठंडे क्षेत्र में उगाए गए ‘सी बकथॉर्न’ और कुट्टू के बीज, नासा के क्रू-11 मिशन द्वारा आईएसएस पर किए जाने वाले प्रयोगों का हिस्सा हैं। पांच महाद्वीपों के 11 देशों से प्राप्त बीज, अमेरिका स्थित जैव अंतरिक्ष विज्ञान फर्म ‘जगुआर स्पेस’ द्वारा किए जा रहे अध्ययन का हिस्सा हैं।
लद्दाख के ठंडे क्षेत्र में उगाए गए ‘सी बकथॉर्न’ और कुट्टू के बीज, नासा के क्रू-11 मिशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर किए जाने वाले प्रयोगों का हिस्सा हैं। पांच महाद्वीपों के 11 देशों से प्राप्त बीज, अमेरिका स्थित जैव अंतरिक्ष विज्ञान फर्म ‘जगुआर स्पेस’ द्वारा किए जा रहे अध्ययन का हिस्सा हैं। इसकी योजना बीजों को एक सप्ताह तक सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण स्थितियों में रखने की है।
महीने के अंत तक धरती पर लौटेंगे
ये बीज ‘अंतरिक्ष के लिए कृषि’ पेलोड का हिस्सा हैं, जो नासा के क्रू-11 के साथ आईएसएस के लिए उड़ान भर चुका है। ये मिशन शुक्रवार को फ्लोरिडा से उड़ान भरकर शनिवार को कक्षीय प्रयोगशाला में पहुंचा था। ये बीज क्रू-10 द्वारा वापस लाए जाएंगे, जिसके इस महीने के अंत में पृथ्वी पर लौटने की उम्मीद है। लद्दाख में उगाए गए ये बीज बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप ‘प्रोटोप्लेनेट’ द्वारा प्राप्त किए गए थे।
भविष्य के लिए होगा अध्ययन
‘प्रोटोप्लेनेट’ के निदेशक सिद्धार्थ पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘हम अध्ययन करेंगे कि ये बीज सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण स्थितियों पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं। साथ ही लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियानों के लिए खाद्य स्रोत के रूप में उनके संभावित उपयोग का अध्ययन करेंगे।’ पांडे ने बताया कि प्रोटोप्लेनेट ने ‘सी बकथॉर्न’ और हिमालयी कुट्टू जैसे पोषक तत्वों से भरपूर पौधे प्रदान किए हैं, जो ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। हिमालयी कुट्टू एक प्रकार का अनाज है जो पोषक तत्वों से भरपूर और ग्लूटेन-मुक्त होता है।
इतने देशों के बीज
अंतरिक्ष से लौटने पर, इन बीजों का अध्ययन भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा किया जाएगा। मालदीव, अर्जेंटीना, ब्राजील, कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, नाइजीरिया, आर्मेनिया, मिस्र, पाकिस्तान और नाइजीरिया के बीज इस प्रयोग का हिस्सा हैं।