जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने कश्मीर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नीति की आलोचना की और कहा कि पर्यटन से जुड़े स्थलों और तीर्थस्थलों का भी सैन्यीकरण कर दिया गया है।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि कश्मीरी पंडितों के लिए दो विधानसभा सीट आरक्षित करना विस्थापित समुदाय के लिए घाटी में उनकी वापसी और पुनर्वास से पहले सबसे बड़ा विश्वास बहाली उपाय होता। पीडीपी अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि वार्षिक अमरनाथ यात्रा का सैन्यीकरण कर दिया गया है और किसी को भी तीर्थयात्रियों के पास जाने की अनुमति नहीं है।
महबूबा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”मेरा मानना है कि कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए सबसे बड़ा सीबीएम (विश्वास बहाली का उपाय) यह होता कि घाटी में उनके लिए दो विधानसभा सीट आरक्षित कर दी जातीं, न कि समुदाय के दो सदस्यों को मनोनीत करके भेजा जाता।” उन्होंने कहा, ”दो सीट आरक्षित करने से वे वोट मांगने आते और इसके परिणामस्वरूप पंडितों और मुसलमानों दोनों को एक-दूसरे के करीब आने का अवसर मिलता। कश्मीर में पंडितों को वापस लाने का यह सबसे अच्छा तरीका था।”
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने कश्मीर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नीति की आलोचना की और कहा कि पर्यटन से जुड़े स्थलों और तीर्थस्थलों का भी सैन्यीकरण कर दिया गया है। उन्होंने कहा, ”अगर आप कश्मीर को देखें, तो वहां पर्यटकों के लिए बहुत सारी जगहें हैं। अमरनाथ यात्रा, जिसका हम इंतजार करते थे और संतों से बातें करके अच्छा महसूस करते थे, उसका भी सैन्यीकरण कर दिया गया है। वहां मक्खी भी नहीं जा सकती। आप जम्मू कश्मीर के साथ क्या कर रहे हैं? आप इस क्षेत्र को बर्बाद कर रहे हैं।”
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा ने कहा कि बिजली परियोजनाओं पर हुए समझौते की समीक्षा की जरूरत है क्योंकि ‘‘हम जो बिजली पैदा कर रहे हैं, उससे हमें कोई फ़ायदा नहीं है। इससे देश के बाकी हिस्सों को फायदा हो रहा है। सबसे पहले और सबसे जरूरी, इन परियोजनाओं के लिए हमारे राज्य को आर्थिक मुआवज़ा दिया जाना चाहिए और गरीब निवासियों को मुफ़्त बिजली सुनिश्चित की जानी चाहिए।” हाल ही में जम्मू में पुलिस गोलीबारी में एक गुज्जर युवक परवेज अहमद के मारे जाने की निष्पक्ष जांच की अपनी मांग दोहराते हुए, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को उसके परिवार को न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ”यह सिर्फ़ परवेज की बात नहीं है। पिछले छह महीनों में आधा दर्जन से ज़्यादा आदिवासी युवक रहस्यमय परिस्थितियों में मारे गए हैं।” पीडीपी अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर में गुज्जरों का जीवन दयनीय बना दिया गया है। उन्होंने कहा,”पुलिस और तथाकथित (गाव) रक्षक उन्हें अपने मवेशी मुक्त रूप से नहीं चराने दे रहे हैं। वे रक्षक नहीं, बल्कि राक्षस हैं जो गुज्जरों को परेशान कर रहे हैं और उन्हें जंगलों से बेदखल कर रहे हैं। परवेज के साथ न्याय होना चाहिए…।”
मुफ्ती ने कहा, ”पीडीपी जब तक भाजपा के साथ गठबंधन में थी, हमने उनके हाथ बांध रखे थे और उन्हें अनुच्छेद 370 को छूने नहीं दिया। मैंने अपनी सरकार के दौरान (आतंकवादियों के साथ) संघर्षविराम सुनिश्चित किया और 12,000 युवाओं की प्राथमिकी रद्द कीं। अरुण जेटली एक प्रतिनिधिमंडल के साथ कश्मीर के लोगों से बात करने आए थे।” उन्होंने कहा कि हजारों लोग जेलों में हैं और बीमार हैं, लेकिन कोई उनके बारे में बात नहीं कर रहा है। पीडीपी प्रमुख महबूबा ने जम्मू कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, ”हमें लगा था कि (नेशनल कॉन्फ्रेंस) सरकार उनके बारे में बात करेगी। लेकिन वे केवल राज्य का दर्जा बहाल करने की बात कर रहे हैं और उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन और एनसी के नेतृत्व वाली सरकार के बीच अधिकारों के हस्तांतरण को लेकर टकराव जारी है। सड़क, बिजली, पानी और बेरोजगारी जैसे वास्तविक मुद्दों पर कोई बात नहीं करता।”
मुफ्ती ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यदि अटल बिहारी वाजपेयी की तरह अगर फैसले लेते हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सत्ता में रहते हुए सीमा पार सड़कें खोलीं और कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत शुरू की, तो वह उनकी (मोदी) प्रशंसा करने में संकोच नहीं करेंगी। उन्होंने कहा, ”लेकिन अगर वह (मोदी) 5 अगस्त, 2019 जैसा कोई फैसला लेते हैं, तो हम उनकी आलोचना करेंगे।” केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त कर दिये थे, जो तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देता था।