यमन की हूती सरकार इजराइल पर हमले और फिलिस्तीन को अपने दिए गए समर्थन की वजह से खबरों में बनी हुई है. हूतियों की अदालत ने एक फैसला सुनाते हुए दिवंगत यमनी राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह के बेटे अहमद अली अब्दुल्ला सालेह को जासूसी का दोषी पाए जाने पर मौत की सजा सुनाई है और उनकी संपत्ति जब्त कर ली है. हूती के इस कदम के बाद उन्हें मिली जुली प्रतिक्रिया मिली हैं.
हूती से जुड़े सबा समाचार एजेंसी के मुताबिक हूतियों ने गुरुवार शाम को एक बयान में कहा कि केंद्रीय सैन्य न्यायालय ने अहमद अली अब्दुल्ला सालेह अफश के खिलाफ अपना फैसला सुनाया, उन्हें देशद्रोही, दुश्मन के साथ सहयोग और जासूसी के अपराधों के साथ-साथ भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया गया है, उन्हें मौत की सजा और उनकी संपत्ति जब्त करने की सजा सुनाई है.
A Houthi military court has sentenced Ahmed Ali Abdullah Saleh, the former commander of #Yemen‘s Republican Guard and son of late ex-President Saleh, to death for “treason and collaborating with the enemy.” pic.twitter.com/tW4cpQMzqs
— Ali Al-Sakani | علي السكني (@Alsakaniali) July 31, 2025
अहमद अली अब्दुल्ला सालेह कौन हैं?
दिवंगत राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह के 53 साला सबसे बड़े बेटे अहमद अली अब्दुल्ला सालेह ने 2011 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान रिपब्लिकन गार्ड के कमांडर के रूप में काम किया था और यमनी सेना की रिपब्लिकन गार्ड इकाई में लगभग 80 हजार सैनिकों की कमान संभाली थी. बाद में उन्होंने 2013 से 2015 तक संयुक्त अरब अमीरात में यमन के राजदूत के रूप में काम किया.
2015 में ईरान समर्थित हूतियों ने उनके पिता, पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह के साथ गठबंधन खत्म कर राजधानी सना पर नियंत्रण कर लिया था. जिसके बाद उन्हें राजदूत के पद से बर्खास्त कर दिया गया था. अहमद का जन्म 1972 में राजधानी सना में हुआ था. उन्होंने अमेरिका से प्रबंधन विज्ञान में स्नातक और जॉर्डन से स्नातकोत्तर की डिग्री ली और दोनों देशों में सैन्य विज्ञान में विभिन्न पाठ्यक्रम किए.
2017 में हूतियों को दी थी धमकी
दिसंबर 2017 में हूतियों द्वारा अपने पिता की हत्या के बाद, अहमद अली ने एक बयान जारी कर अपने पिता के निधन पर शोक व्यक्त किया और ‘बदला लेने’ की धमकी दी. वह अभी भी संयुक्त अरब अमीरात में रहते हैं और उनके पास कोई आधिकारिक पद नहीं है. संयुक्त राष्ट्र ने 2015 में उन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए थे, जिन्हें बाद में जुलाई 2024 में हटा लिया गया था.
सोशल मीडिया पर हूतियों के खिलाफ लोग
इस सजा के बाद सोशल मीडिया पर मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. इस फैसले के जारी होने के बाद विपक्षी न्यूज़ अकाउंट्स और वेबसाइटों ने हूतियों पर हमला बोल दिया है. उन्होंने इसे ‘राजनीतिक बदला लेने’ और अहमद अली सालेह के किसी भी वित्तीय या राजनीतिक प्रभाव को छीनने की कोशिश माना, क्योंकि इस फैसले में उनकी चल और अचल संपत्तियों को जब्त करने का प्रावधान है.