होम विदेश अमेरिका और रूस दोनों में पनडुब्बी अटैक से होगी युद्ध की शुरुआत!… किसमें कितना है दम?

अमेरिका और रूस दोनों में पनडुब्बी अटैक से होगी युद्ध की शुरुआत!… किसमें कितना है दम?

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डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के पास दो परमाणु पनडुब्बियां तैनात करने का आदेश दिया है. ट्रंप का ये आदेश रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव की के एक बयान के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि रूस, इजराइल-ईरान नहीं है. साथ ही मेदवेदेव ने अमेरिका को रूस की कुख्यात परमाणु प्रणाली डेड हैंड की याद दिलाई, एक ऐसा सिस्टम जो अगर रूस पर पहला हमला होता है, तो अपने-आप जवाबी परमाणु कार्रवाई शुरू करेगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बयान को गंभीर खतरा माना है और रूस के पास परमाणु पनडुब्बियां तैनात करने का आदेश दिया. ट्रंप ने मेदवेदेव को एक नाकाम राष्ट्रपति कहकर चेतावनी दी कि वो ‘खतरनाक जमीन’ पर कदम रख रहे हैं.

ट्रंप के इस कदम से तीसरे विश्व युद्ध का खतरा पैदा हो गया है. लेकिन यहां सवाल ये भी उठ रहा है अगर ट्रंप के इस कदम का पुतिन भी ऐसे ही जवाब दें, तो क्या होगा. अगर पुतिन भी अपनी पनडुब्बियां अमेरिका की और भेजे तो क्या होगा.

समुद्र लड़ाई में पनडुब्बी की अहमियत

आज के युग में समुद्र ताकत किसी भी युद्ध को जीतने में अहम किरदार अदा करती है. अमेरिका और रूस के सबसे उन्नत समुद्र सैन्य क्षमता है. समुद्री युद्ध में सबसे कारगर माने जाने वाली पनडुब्बी ताकत में भी दोनों देशों शीर्ष पर खड़े हैं.

पनडुब्बियां समुद्री युद्ध में सबसे खास मानी जाती हैं क्योंकि उनकी अनूठी क्षमताएं और सामरिक लाभ उन्हें आधुनिक नौसैनिक रणनीति में खतरनाक बनाती है. पनडुब्बी पानी के नीचे चलती है, जिससे दुश्मन को इसकी खबर भी नहीं पड़ती. नई पनडुब्बियां, जैसे अमेरिका की वर्जीनिया-क्लास या रूस की यासेन-क्लास, अत्यधिक शांत होती हैं, जिनका पता लगा पाना बेहद मुश्किल है. यह चुपके से दुश्मन के जहाजों, विमानवाहक पोतों, या तटीय ठिकानों पर आकस्मिक हमले करने में सक्षम बनाती है, जिससे दुश्मन को जवाब देने का समय कम मिलता है. इसके अलावा ये कई और तरह के खुफिया ऑपरेशन भी अंजाम दे सकती हैं. Submarine

अमेरिका और रूस की पनडुब्बी ताकत लगभग समान है, लेकिन रूस को इस लड़ाई में अमेरिका से आगे माना जाता है. आइये दोनों देशों की पनडुब्बी ताकत पर नजर डालते हैं.

अमेरिकी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (ओहियो-क्लास)

अमेरिकी नौसेना की ओहायो क्लास की बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (SSBN) अपनी खुफिया क्षमता और परमाणु हथियारों की सटीक पहुंच के लिए जानी जाती हैं. बूमर कहलाने वाली कम से कम 14 पनडुब्बियां इस समय सर्विस में हैं. लंबी समय तक के गश्त के लिए डिज़ाइन की गई ये पनडुब्बियां बड़े बदलावों के बीच 15 सालों तक काम कर सकती हैं. ये 20 पनडुब्बी-प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइलों (SLBM) तक ले जा सकती हैं. इनका मुख्य हथियार ट्राइडेंट || D5 SLBM है.

अमेरिकी तेज हमलावर पनडुब्बियां

अमेरिका तीन तरह की परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बियों (SSN) का इस्तेमाल करता है- वर्जीनिया-श्रेणी, सीवुल्फ़-श्रेणी और लॉस एंजिल्स-श्रेणी (जिसे 688 श्रेणी भी कहा जाता है). टॉमहॉक मिसाइलों, हार्पून मिसाइलों और MK-48 टॉरपीडो से लैस, ये हमलावर पनडुब्बियां दुश्मन के जहाजों की तलाश और उन्हें खत्म करने के लिए डिजाइन की गई हैं. ये खुफिया और टोही अभियानों को अंजाम देने के साथ-साथ बारूदी सुरंगों से होने वाले युद्ध में भी शामिल हो सकती हैं. US SUBMRINE

अमेरिका के पास 24 वर्जीनिया-क्लास के SSN हैं, जिनमें USS हवाई, USS नॉर्थ कैरोलिना, USS मिसौरी आदि शामिल हैं. यह अमेरिकी नौसेना का नया अंडरसी वॉरफेयर प्लेटफॉर्म है जिसमें कई नई तकनीक शामिल हैं. इसमें विशेष ऑपरेशन बलों की सहायता के लिए विशेष सुविधाएं हैं और इसमें गोताखोरों के लिए लॉक-इन/लॉक-आउट चैंबर भी है.

अमेरिकी बेड़े में तीन सीवुल्फ़-क्लास की पनडुब्बियां हैं, पहली USS सीवुल्फ़ – 1997 में कमीशन की गई थी. सीवुल्फ क्लास की पनडुब्बियों में वर्टिकल लांच मैकेनिज्म का अभाव है. SSN में आठ टारपीडो ट्यूब हैं और इसके टारपीडो रूम में 50 हथियार रखे जा सकते हैं.

688-क्लास अमेरिकी पनडुब्बी बल की रीढ़ है. इनमें से कम से कम 24 कमीशन में हैं. सोवियत खतरों का मुकाबला करने के लिए 1976 में बनी ये अपनी प्रभावी गति और गुप्त क्षमता के कारण अत्यधिक प्रभावी साबित हुई हैं. लॉस एंजिल्स-क्लास के सेवानिवृत्त होने पर उनकी जगह वर्जीनिया-क्लास ले लेगी.

रूसी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां

रूस के पास दुनिया के सबसे बड़े पनडुब्बी बेड़ों में से एक है, जिसमें लगभग 64 पनडुब्बियां शामिल हैं. लगभग 14 बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (SSBN) इसकी रणनीतिक सिस्टम का सेंटर हैं. इनमें बोरेई-क्लास और डेल्टा IV-क्लास शामिल हैं. RUSSIA SUBMARINE

रूसी नौसेना के पास 9 बोरेई क्लास की SSBN हैं, जो 16 बुलावा SLBM और छह 533 मिमी टॉरपीडो लॉन्चर से लैस हैं. ये पनडुब्बी डिफेंस रॉकेट और बॉटम माइंस भी दाग सकते हैं. इसके चालक दल में सौ से ज़्यादा क्रू मेंबर शामिल हैं.

बोरीस, डेल्टा IV-क्लास की पनडुब्बियों की जगह लेंगी, जिन्हें टाइफून-क्लास के साथ बनाया गया था. कम से कम छह डेल्टा इस समय में तैनात हैं. 16 सिनेवा SLBM से लैस, ये समुद्र में रूस की परमाणु निवारक क्षमता की रीढ़ हैं.

रूस की तेज हमला करने वाली पनडुब्बियां

रूसी नौसेना के पास चार यासेन-क्लास की परमाणु हमलावर पनडुब्बियां हैं, जो अपने पुराने मॉडल की तुलना में छोटी हैं और जिनके लिए कम चालक दल की जरूरत होती है. इस क्लास की पनडुब्बियां या तो पांच 3M54-1 कलिब्र मिसाइलें या चार P-800 32-40 ओनिक्स मिसाइलें ले जा सकती हैं, जिससे इन पनडुब्बियों को लंबी दूरी की जमीनी हमला और जहाज-रोधी क्षमताएं हासिल हैं.

अकुला-क्लास, जिसकी लगभग पांच पनडुब्बियां सेवा में हैं, रूसी नौसेना की मूक मारक मशीन है, जिसे शार्क (रूसी में अकुला का अर्थ शार्क होता है) के नाम से भी जाना जाता है. अमेरिकी लॉस एंजिल्स-क्लास की प्रतिद्वंदी, ये रूसी पनडुब्बियां कलिब्र, ओनिक्स या ग्रेनाइट मिसाइलों और टॉरपीडो का संचालन कर सकती हैं. दोनों के पास ही दुनिया को दहसा देने वाली पनडुब्बी हैं. अगर दोनों देशों जंग की और बढ़ते हैं, तो तीसरे विश्व युद्ध की घंटी बज सकती है.

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