रिएलिटी बनाम नैरेटिव
सियासी रणनीति में चूक?
तेजस्वी यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस को गठबंधन की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा था, लेकिन उनका दावा तथ्यात्मक रूप से गलत साबित हुआ. जाहिर है यह एक बड़ी चूक थी, क्योंकि ECI ने तुरंत तथ्यों के साथ जवाब दिया. BJP ने इसे मौके के रूप में भुनाया. संबित पात्रा ने 1 अगस्त को कहा, “राहुल का एटम बम फुस्स है, तेजस्वी ने इसे और कमजोर किया”. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने राहुल पर संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने का आरोप लगाया. केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के साथ विजय कुमार सिन्हा ने भी हमलावर तेवर अपना लिये. सम्राट चौधरी ने जहां तेजस्वी यादव की शिक्षा को लेकर सवाल खड़ा कर दिया, वहीं विजय सिन्हा ने कहा कि-जैसे पिता(लालू यादव) वैसे ही पुत्र(तेजस्वी यादव) हैं. झूठ बोलने की सबसे बड़ी ठेकेदारी इन्होंने ली है. ये लोग एक तरफ संविधान की किताब लेकर चलते हैं और दूसरी तरफ संवैधानिक संस्था(चुनाव आयोग) को अपमानित करेंगे…इन लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
मांझी-सहनी के अपने दावे
ईसी ने पानी फेर दिया!
बहरहाल, दावों प्रतिदावों के बीच राजनीति जारी है. लेकिन, इतना साफ है कि यह घटना न केवल विरोधी दलों की तैयारी की कमजोरी और रणनीतिक चूक को बताती है, बल्कि गठबंधन के भीतर तालमेल की कमी को भी उजागर करती है. जानकार कहते हैं कि तेजस्वी यादव के वोटर आईडी विवाद और इस पर चुनाव आयोग का सबूतों के साथ पलटवार ने उनकी रणनीति पर पानी फेर दिया है. वहीं राहुल गांधी के हमलों को भी कमजोर कर दिया है. ऐसे में यह वाकया यह दिखाता है कि तेजस्वी यादव सियासी शोर मचाकर जनता से तो जुड़ना चाहते हैं, लेकिन जानकारों की नजर में तथ्यों की अनदेखी उनकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकती है. वहीं, इस एक घटना ने चुनाव आयोग पर उठते तमाम सवालों के जवाब दे दिये हैं और आरोपों के बीच आयोग की स्थिति मजबूत हुई लगती है.
ECI की भूमिका और सवाल का नैरेटिव?
वहीं, ECI ने SIR को अवैध मतदाताओं को हटाने की कवायद बताया है. 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में मतदाताओं को 1 सितंबर तक दावे-आपत्तियां दर्ज करने का मौका दिया गया है. बावजूद इसके राहुल और तेजस्वी के आरोपों ने ECI की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है और 5 अगस्त को बेंगलुरु में राहुल का खुलासा इस विवाद को नया मोड़ दे सकता है. राहुल का ‘एटम बम’ दावा सियासी नैरेटिव को मजबूत करने की कोशिश थी, लेकिन तेजस्वी की तथ्यात्मक चूक ने इसे कमजोर किया. ECI का त्वरित जवाब और तथ्य सामने लाना उनकी साख को बचाने में कामयाब रहा. लेकिन बिहार में SIR और मतदाता सूची विवाद 2025 के चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है. गठबंधन को अपनी रणनीति में तालमेल और तथ्यों की मजबूती पर ध्यान देना होगा.