शिवाजी महाराज ने केवल 15 साल की उम्र में पहली बार युद्ध में हिस्सा लिया था और उसे जीता भी था.
मराठा गौरव छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत वाले राज्य महाराष्ट्र के पुणे में दो गुटों में हिंसक झड़प हो गई. पुणे की दोंड तहसील के यवत गांव में यह हिंसा सोशल मीडिया पर की गई एक आपत्तिजनक पोस्ट के बाद शुरू हुई. भड़की भीड़ को काबू करने में पुलिस को आंसू गैस के गोले तक छोड़ने पड़े. गांव में सुरक्षा सख्त कर दी गई है. पोस्ट करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसी बहाने आइए जान लेते हैं कि शिवाजी महाराज ने कितने किले जीते, कितने मुगलों को सौंपने पड़े? कितने दोस्त थे और कितने दुश्मन?
पुणे पुलिस की ओर से बताया गया है कि कथित तौर पर आपत्तिजनक पोस्ट के आरोपित युवक की पहचान यवत में सहकार नगर के रहने वाले सैयद के रूप में हुई है. उसकी पोस्ट वायरल होने पर स्थानीय कार्यकर्ताओं का एक ग्रुप उसके घर के पास जुट गया और तोड़फोड़ की. यवत पुलिस इंस्पेक्टर नारायण देशमुख ने बताया कि सैयद युवक को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया है. यह वही पुणे है जहां शिवाजी का जन्म हुआ था.
15 साल की उम्र में जीता तोरणा का किला
मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था. उस वक्त पुणे के जागीरदार शिवाजी के पिता शाहजी भोंसले थे. शिवाजी महाराज ने केवल 15 साल की उम्र में पहली बार युद्ध में हिस्सा लिया था. साल 1645 में आदिलशाह ने पुणे के तोरणा किले पर हमला बोला था. तब शिवाजी ने पहली बार इसी युद्ध में हिस्सा लिया और मराठों की जीत में बेहद अहम भूमिका निभाई थी. इसके साथ ही तोरणा किला मराठों के पास आ गया. इसके बाद तो शिवाजी का सैन्य अभियान जीवन भर चलता रहा.

इसी शिवनेरी किले छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था.
रायगढ़ किला जीत कर बनाया राजधानी
साल भर बाद ही 1646 ईस्वी में मराठों और आदिलशाह की सेना में फिर युद्ध छिड़ गया, जिसे रायगढ़ के युद्ध के रूप में जाना जाता है. जनरल मुल्ला की अगुवाई में आई आदिलशाह की सेना को फिर शिवाजी ने हराया और रायगढ़ किले पर कब्जा जमा लिया. इसी युद्ध में जीत के साथ शिवाजी मराठा संग्राम के अगुवा बन गए. उन्होंने रायगढ़ के किले को ही अपनी राजधानी बनाया और मराठा साम्राज्य के गठन की दिशा में सबसे अहम कदम उठाए.

युद्ध में रायगढ़ किले की जीत के साथ शिवाजी मराठा संग्राम के अगुवा बन गए.
तीन सौ से अधिक किलों पर पताका फहराया
इसके बाद तो एक-एक कर शिवाजी ने तीन सौ से अधिक किले जीते. इनमें रायगढ़ के अलावा राजगढ़, शिवनेरी, प्रतापगढ़, लोहागढ़, सिंधुदुर्ग, सिंहगढ़, जुन्नार और पुरंदर के किले शामिल हैं. हालांकि, मुगलों के साथ पुरंदर में हुई एक संधि के कारण शिवाजी महाराज को 23 किले उनको सौंपने पड़े थे. इनमें कुछ महत्वपूर्ण किले पुरंदर, लोहागढ़, सिंहगढ़, करनाला और महुली आदि शामिल थे. वैसे यह स्थिति ज्यादा दिनों तक नहीं रही और इनमें से अधिकतर किले शिवाजी ने फिर से जीत लिए थे. यह 1665 ईस्वी की बात है. औरंगजेब के बहकावे में आए आमेर के राजा जय सिंह प्रथम ने शिवाजी पर हमला कर दिया था. इसमें मराठा सेना को पिछड़ता देख शिवाजी संधि को तैयार हुए थे. औरंगजेब ने भी दोस्ती का नाटक किया और उनको संधि के लिए मना लिया. वैसे शिवाजी ने यह संधि पुरंदर के किले में जय सिंह प्रथम के साथ ही की थी.

महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा.
मुगलों से कभी नहीं बनी
शिवाजी महाराज दक्षिण में हिंदू अस्मिता के सबसे बड़े प्रतीक बनकर उबरे. उनके सबसे प्रमुख दुश्मनों की सूची में मुगलों का नाम लिया जाता है. मुगल शासकों से उनकी कभी नहीं बनी. खासकर औरंगजेब उनको अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था और मराठा साम्राज्य पर कब्जा करने के लिए उसने अपने जीवन का बड़ा समय दक्कन (दक्षिण) में बिता दिया. यह और बात है कि उसे पूरी तरह से कभी कामयाबी नहीं मिल पाई और मराठों ने अपनी स्वाधीनता किसी न किसी रूप में कायम रखी. हालांकि, शिवाजी के शुरुआती दुश्मन के रूप में बीजापुर का सुल्तान सामने आता है. खासकर आदिलशाह के साथ युद्ध से शिवाजी के सैन्य जीवन की शुरुआत हुई थी.
अगर शिवाजी महाराज के कट्टर दुश्मन थे तो दोस्तों की भी कमी नहीं थी. उनके वफादार सेनापति तानाजी मालुसरे ने मराठा अस्मिता के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दी. वह शिवाजी महाराज के सलाहकार और मित्र थे. सिंहगढ़ का किला जीतते वक्त तानाजी शहीद हो गए थे. इस पर शिवाजी ने कहा था कि गढ़ आया पर सिंह गया.

शिवाजी महाराज ने मात्र 15 साल की उम्र में शिवनेरी किला जीत लिया था.
शिवाजी के समय से महत्वपूर्ण शहर है पुणे
वैसे भी शिवाजी महाराज के शासन के दौर में पुणे एक बेहद महत्वपूर्ण शहर था. मराठा साम्राज्य की राजधआनी रहे इस शहर की शिवाजी ने बेहद मजबूत किलेबंदी की और इसका खूब विकास किया. पुणे ही मराठा साम्राज्य की कई अभूतपूर्व घटनाओं का गवाह है. यह शिवाजी महाराज द्वारा जीते गए कई युद्धों और कई किलों पर मराठों के आधिपत्य का भी गवाह है. आज वही पुणे शहर एक छोटी सी सोशल मीडिया पोस्ट के कारण भड़की हिंसा से एक बार फिर चर्चा में आ गया है.
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