होम विदेश दिमाग में टैरिफ, दिल में नोबेल… कैसे ‘डबल रेस’ में दौड़ रहे हैं ट्रंप?

दिमाग में टैरिफ, दिल में नोबेल… कैसे ‘डबल रेस’ में दौड़ रहे हैं ट्रंप?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कब क्या बयान दे देंगे और क्या फैसला ले लेंगे यह कोई नहीं जानता है. दो दिन पहले ट्रंप ने ऐलान किया कि अमेरिका भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएगा. भारत से जलन रखने वाला पाकिस्तान उनके इस ऐलान से बहुत खुश हुआ. फिर ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका-पाकिस्तान ने मिलकर तेल और ट्रेड पर डील फाइनल कर ली है. ट्रंप ने अब जाकर पाकिस्तान पर एक और मेहरबानी कर दी. पाकिस्तान पर लगाया गया भारी-भरकम टैरिफ भी घटा दिया.

लव यू पाकिस्तान कहने वाले ट्रंप ने अप्रैल में इस्लामाबाद पर 29 फीसदी टैरिफ लगाया था, लेकिन मुनीर की चाटुकारिता इस कदर काम कर रही है, कि कल ट्रंप ने पाकिस्तान पर सिर्फ 19 फीसदी टैरिफ ही लगाने का ऐलान किया. यानी मक्खन लगाने के बदले में ट्रंप ने पाकिस्तान को टैरिफ में 10 फीसदी की छूट दे दी. वहीं, दूसरी ओर, ट्रंप ने अप्रैल में भारत पर 26 फीसदी का टैरिफ लगाया था लेकिन अब इसे सिर्फ 1 प्रतिशत घटाकर 25 फीसदी कर किया है.

पाकिस्तान अब अमेरिका से खरीदेगा तेल

उधर खबर ये भी है कि पाकिस्तान अब अमेरिका से ऊंची कीमत पर तेल खरीदेगा. यानी पाकिस्तान को ट्रंप का उधार वाला ट्रैप पसंद है ? आपने पुराने जमाने के राजा-महाराजाओं के किस्से तो सुने ही होंगे. जो अपने दरबार में ऐसे मक्खन लगाने वाले मंत्रियों को खास जगह देकर रखते थे. राजा के बुरे से बुरे फैसले पर भी चाटुकार तारीफ ही करते थे और चापलूसी से प्रफुल्लित महाराजा बदले में चापलूस को इनाम-इकराम भी देते थे. ट्रंप ने मुनीर को अब नोबल वाली उसी चापलूसी का इनाम पाकिस्तान पर कम टैरिफ लगाकर दिया है.

ट्रंप की नोबल वाली चाहत इतनी प्रबल है कल तो बाकायदा वाइट हाउस की प्रेस ब्रीफिंग में व्हाइट हाउस ने गिनाना शुरू कर दिया की ट्रम्प को किन किन वजह से नोबेल पुरस्कार मिलना ही चाहिए. वैसे ट्रंप इस वक्त दुनिया को टैरिफ फीवर देने लिए भी काफी चर्चा में है. वो दुनियाभर से टैरिफ वसूलने और उस पैसे से मेक अमेरिका ग्रेट अगेन बनाने का ख्वाब देख रहे हैं. दूसरी ओर उनके दिल में नोबेल की चाहत पल रही है. वो लगातार ये कहने से नहीं चूकते हैं कि दुनिया में अलग-अलग फ्रंट पर वो युद्ध रुकवा रहे हैं. शांति फैला रहे हैं, बदले में उन्हें नोबेल मिलना चाहिए.

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने गिनाई ट्रंप की उपलब्धि

ट्रंप जब खुद से ये कहते-कहते थक गए तो गुरुवार को उन्होंने व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट को आगे कर दिया. लेविट ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक थाईलैंड और कंबोडिया, इजराइल और ईरान, रवांडा और कांगो, भारत और पाकिस्तान, सर्बिया और कोसोवो, मिस्र और इथियोपिया के बीच संघर्षों को समाप्त किया है. इसका मतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने 6 महीनों के कार्यकाल के दौरान औसतन लगभग हर महीने एक शांति समझौता या युद्ध विराम करवाया है. अब समय आ गया है कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाए.

अमेरिकी प्रेसिडेंट को नोबेल पाने की ऐसी तलब है कि वो अपने मुंह मियां मिट्ठू बने घूम रहे हैं. इसके लिए उन्हें पाकिस्तान जैसे आतंकी देश की मदद करने से भी परहेज नहीं है. पाकिस्तान ने भी बडी चालाकी से ट्रंप को तेल भंडार के झूठे ख्वाब दिखाए. कंगाल देश ने ट्रंप को अरबों-खरबों डॉलर के व्यापार का लालच दिया. पैसे के पीछे भागने वाले ट्रंप भी पाकिस्तान का ये झूठ सच मान बैठे. पाकिस्तान को टैरिफ में 10 प्रतिशत का भारी-भरकम डिस्काउंट दे दिया. मजे कि बात ये है की तेल के इस खेल में पाकिस्तान और अमेरिका दोनों एक दूसरे को ठगने में लगे हैं.

भारत के मुकाबले सिर्फ 6 फीसदी का टैरिफ डिस्काउंट

पुख्ता रिपोर्ट है कि पाकिस्तान के पास कोई तेल रिजर्व नहीं है. मार्च 2019 में पूर्व पीएम इमरान खान का ये छोड़ा हुआ एक शिगूफा है. उन्होंने तब दावा किया था कि कराची तट के पास तेल और गैस भंडार मिलने की संभावना है. जिसे खुद पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्रालय ने ड्रिलिंग करने के बाद खारिज किया था.

वहीं, अमेरिका पाकिस्तान को इस तेल पर कैसे ठग रहा है, अमेरिका ने पाकिस्तान को भारत के मुकाबले सिर्फ 6 फीसदी का टैरिफ डिस्काउंट दिया है. अमेरिका को पाकिस्तान का निर्यात भी बहुत कम 33 हजार करोड़ रुपए ही है. कम व्यापार के कारण अमेरिका के कम टैरिफ का खास फायदा पाकिस्तान को नहीं मिलने वाला है. अब सुनते हैं पाकिस्तान में लोग तेल वाले इस झूठ पर ट्रंप और शहबाज सरकार का मजा कैसे ले रहे हैं?

क्या कहती है रिश्तों की फैक्ट फाइल?

हमने आपको अमेरिका-पाकिस्तान में झूठ की बुनियाद पर बने रिश्तों की ये फैक्ट फाइल के बारे में है. अब समझते है कि अमेरिका भारत से आखिर चिढ़ा क्यों बैठा है? इसकी पहली वजह ये है कि भारत को अमेरिकी शर्तों पर टैरिफ डील मंजूर नहीं है. किसानों और छोटे कारोबारियों के हितों का ख्याल है, अमेरिकी दबाव में रूस जैसे पुराने दोस्तों से दूरी नहीं बनाने का प्रण है, अमेरिकी टैरिफ का भारत पर ज्यादा असर भी नहीं पड़ेगा, GDP पर सिर्फ पॉइंट 2 से पॉइंट 5 फीसदी तक ही असर होगा.

ये सच्चाई अमेरिका को भी पता है. इसीलिए ट्रंप के बड़े बड़े मंत्री भारत के खिलाफ नफरत वाली सोच उजागर कर रहे हैं. विदेश मंत्री से लेकर वाणिज्य मंत्री तक अमेरिका और भारत के रिश्तों में खटास की बात कहने लगे हैं. विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने फॉक्स रेडियो को दिए इंटरव्यू में कहा- भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है. यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध प्रयासों को फंड करने में मदद पहुंचा रहा है. ये निश्चित रूप से हमारे संबंधों में खटास का विषय है. जबकि, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि भारत की वजह से व्यापार वार्ता बहुत धीमी गति से चल रही है. अमेरिकी वित्त मंत्रालय की टीम भारत के इस रवैये से परेशान हो चुकी है. इसीलिए प्रेसिडेंट ट्रंप भारत से नाखुश हैं.

भारत के साथ नहीं गल रही डील वाली दाल!

भारत की सरकार शुरू से एक बात कह रही है की उसके लिए भारत के लोगो का इंटरेस्ट सबसे पहले है और इसमें कोई कोम्प्रोमाई की संभावना नहीं है. वैसे, ये बात ट्रंप भी अपने दूसरे कार्यकाल में ठीक से जान चुके हैं कि भारत एक टफ नेगोशिएटर है. अमेरिका की शर्तों पर डील वाली दाल नहीं गलेगी. जिस तरह से ट्रंप और मुल्को को धमका लेते है वो स्ट्रेटेजी भारत में नहीं चलेगी, लेकिन ट्रंप अपने फैसले से अमेरिका के दोस्त देशो से भी सम्बन्ध बिगाड़ रहे है. पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन शायद इसीलिए ट्रंप से खासे नाराज हैं. उन्होंने ट्रंप को खरी-खोटी सुनाई है.

(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)

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