मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार 2 कैथोलिक ननों की जमानत याचिपर कोकार्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। गिरफ्तारी के खिलाफ बिलासपुर हाईकोट के NIA कोर्ट में आज सुनवाई हुई।
मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार 2 कैथोलिक ननों की जमानत याचिपर कोकार्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। गिरफ्तारी के खिलाफ बिलासपुर हाईकोट के NIA कोर्ट में आज सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। पीड़ित पक्ष की बेल एप्लिकेशन पर फैसला अब कल आएगा। इससे पहले लोवर और सेशन कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सेशन कोर्ट ने कहा था कि इस मामले की सुनवाई हमारे दायरे में नहीं आता। आप NIA कोर्ट में चले जाए।
बता दें कि 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मानव तस्करी और धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए दो ननों और एक युवक को रोका था। आरोप है कि तीनों नारायणपुर जिले की तीन लड़कियों को बहला-फुसलाकर आगरा ले जा रहे थे। कार्यकर्ताओं ने रेलवे स्टेशन पर नारेबाजी करते हुए सभी को GRP के हवाले कर दिया था। GRP थाना भिलाई-3 के अंतर्गत दुर्ग जीआरपी चौकी में मामला दर्ज कर तीनों को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया था। अभी सभी दुर्ग के केंद्रीय जेल में बंद है। इस मामले को लेकर रायपुर से लेकर दिल्ली तक सियासी घमासान मिला है।
दुर्ग कोर्ट में जमानत याचिका हो चुकी खारिज
बता दें कि दुर्ग रेलवे स्टेशन पर मानव तस्करी मामले में गिरफ्तार नन की जमानत याचिका पहले लोवर और सेशन कोर्ट से खारिज हो चुकी है। चतुर्थ FTSC कोर्ट के न्यायाधीश ने कहा था कि जमानत देना हमारे क्षेत्राधिकार में नहीं आता। मामला NIA एक्ट में आता है, इसलिए बिलासपुर हाईकोर्ट में मामले को लगाने सलाह दी गई थी। दोनों नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस और युवक सूकमन मंडावी को फिलहाल केंद्रीय जेल दुर्ग में रखा जाएगा। इधर नन की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा सरकार पर हमलावर है।
केरल के चार सांसद फिर आए छत्तीसगढ़
इधर ननों की गिरफ्तारी के बाद दूसरी बार केरल के चार सांसद फिर छत्तीसगढ़ आए हैं। उन्होंने पुलिस और GRP की कार्रवाई को गलत बताया है। वे दुर्ग जेल में ननों से मुलाकात करने भी पहुंचे। वहीं क्रिश्चन समुदाय ने कांकेर जिले में प्रदर्शन कर दोनों ननों की रिहा करने की मांग की है। इधर एक दिन पहले दुर्ग पहुंची वृंदा करात ने कहा कि लड़कियां एडल्ट है। बस्तर की आदिवासी भी हैं। वे कहीं भी देश में आ जा सकती हैं, नौकरी कर सकती हैं। वृंदा करात ने कहा ननों पर कार्यवाही गैर संवैधानिक है, गैर कानूनी है। मानवता के न्यूनतम मूल्यों की छत्तीसगढ़ में धज्जियां उड़ाई जा रही है। छत्तीसगढ़ में गुंडों का राज है। बृंदा करात ने मांग की है कि FIR को वापस लिया जाए और ननों को तुरंत रिहा किया जाए। यह देश के सामने शर्म की बात है। बता दें कि इससे पहले इंडिया गठबंधन के पांच सांसदों ने ननों से मुलाकात की थी।
(रिपोर्ट- संदीप दीवान)