होम देश Bombay High Court says Friend of husband cannot be booked under Section 498A of IPC पति के दोस्त पर क्रूरता का मामला नहीं करा सकते दर्ज, हाईकोर्ट ने धारा 498A पर सुनाया फैसला, India News in Hindi

Bombay High Court says Friend of husband cannot be booked under Section 498A of IPC पति के दोस्त पर क्रूरता का मामला नहीं करा सकते दर्ज, हाईकोर्ट ने धारा 498A पर सुनाया फैसला, India News in Hindi

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता के चर्चित धारा 498A से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि इस धारा के तहत पति के दोस्त पर मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि दोस्त रिश्तेदार की श्रेणी में नहीं आते।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानThu, 31 July 2025 11:28 PM

विवाहित महिलाओं को उनके ससुराल पक्ष द्वारा किसी भी तरह की प्रताड़ना से बचाने के उद्देश्य से लाए गए भारतीय दंड संहिता की धारा 498A एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि इस कानून के तहत पत्नी के साथ क्रूरता के लिए पति के दोस्त पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। अदालत ने कहा है कि दोस्त ‘रिश्तेदार’ की वैधानिक परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं।

बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस अनिल पानसरे और जस्टिस एमएम नेर्लिकर की पीठ ने कहा, “एक दोस्त को रिश्तेदार नहीं कहा जा सकता ह क्योंकि वह न तो खून का रिश्तेदार होता है और न ही उसका विवाह या गोद लेने के जैसे किसी तरीके से परिवार से कोई रिश्ता था।” कोर्ट ने आगे कहा कि आईपीसी की धारा 498ए को स्पष्ट रूप से पढ़ने पर, यह निष्कर्ष निकलता है कि पति का दोस्त आईपीसी की धारा 498ए के तहत पति के ‘रिश्तेदार’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आएगा।”

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कोर्ट में 2022 में एक महिला द्वारा दर्ज कराए गए मामले पर सुनवाई चल रही थी। महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उसके पति, सास ससुर और उसके दोस्त ने उसके साथ क्रूरता की। महिला ने दोस्त पर आरोप लगाया था कि वह बार-बार ससुराल आकर उसके पति को महिला के पिता से जमीन का टुकड़ा और एक कार मांगने के लिए उकसाता था। महिला ने यह आरोप भी लगाया कि पति के दोस्त ने उसके पति को महिला के साथ सेक्स न करने और मायके भेज देने कर लिए भी उकसाया। हालांकि कोर्ट ने कहा कि दोस्त को प्रावधान के अनुसार रिश्तेदार का दर्जा दिया जा सकता है। अदालत ने कहा है कि महिला के पति और उसके सास ससुर के खिलाफ मामला जारी रहेगा।

भारतीय दंड संहिता की धारा 498A

गौरतलब है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498A विवाहित महिलाओं को पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा प्रताड़ना का शिकार होने से बचाने के लिए लाया गया एक कानून है। इसे 1983 में लाया गया था। इस संबंध में भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 84 लाई गई है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर तीन साल तक का कारावास हो सकता है।

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