अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंपImage Credit source: सांकेतिक तस्वीर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक बार फिर से नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की गई है. गुरुवार को व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने दावा किया है कि ट्रंप ने दुनिया भर के कई संघर्ष क्षेत्रों में कई शांति समझौते और युद्धविराम की मध्यस्थता की है, उन्होंने कहा कि ये शांति समझौते औसतन हर महीने एक होते हैं. लेविट ने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल शांति पुरस्कार दिए जाने की मांग दोहराई.
कैरोलिन लेविट ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के 6 महीने में 6 युद्ध रुकवाए हैं. इसीलिए अब समय आ गया है कि ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाए. इस दौरान उन्होंने एक बार फिर से भारत पाकिस्तान जंग रुकवाने का भी दावा किया. हालांकि अमेरिका के इस दावे को भारत कई बार सिरे से खारिज कर चुका है.
‘ट्रंप ने थाईलैंड-कंबोडिया के युद्धविराम कराया’
थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष के साथ अपनी टिप्पणी शुरू करते हुए लेविट ने कहा शांति के मोर्चे पर राष्ट्रपति ट्रंप ने थाईलैंड और कंबोडिया के बीच तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम कराने में मदद की. दोनों देश एक घातक संघर्ष में लगे हुए थे, जिसने 300,000 से अधिक लोगों को विस्थापित कर दिया था, जब तक कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे समाप्त करने के लिए कदम नहीं उठाया’.
#WATCH | White House Press Secretary Karoline Leavitt says, “President Trump helped deliver an immediate and unconditional ceasefire between Thailand and Cambodia. The two countries were engaged in a deadly conflict until President Trump stepped in to put an end to it. The pic.twitter.com/eQU7GvAJmj
— ANI (@ANI) July 31, 2025
राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग
कैरोलिन लेविट ने कहा ‘राष्ट्रपति ट्रंप ने थाईलैंड-कंबोडिया, इजराइल-ईरान, रवांडा-कांगो भारत-पाकिस्तान, सर्बिया-कोसोवो और मिस्र-इथियोपिया के बीच संघर्ष समाप्त करवाया है. इसका मतलब है कि ट्रंप ने अपने छह महीने के कार्यकाल के दौरान औसतन हर महीने एक शांति समझौता या युद्धविराम करवाया है. अब समय आ गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाए’.
भारत-पाकिस्तान के बीच जंग रुकवाने का श्रेय
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार भारत और पाकिस्तान के बीच जंग रोकने का श्रेय लिया है, क्योंकि आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सटीक हमलों के बाद इस्लामाबाद की आक्रामकता पर नई भारत ने प्रभावी प्रतिक्रिया दी थी. ट्रंप ने मई में दावा किया था कि उनके कहने पर जंग रुकी थी. इसके बाद भी वो ये बात कई बार दोहरा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु जंग हो सकती थी लेकिन अमेरिका ने इसे रुकवा दिया.
#WATCH | White House Press Secretary Karoline Leavitt says, “… President Trump has now ended conflicts between Thailand and Cambodia, Israel and Iran, Rwanda and the Democratic Republic of Congo, India and Pakistan, Serbia and Kosovo, and Egypt and Ethiopia. He has brokered, on pic.twitter.com/gvzlofTgvG
— ANI (@ANI) July 31, 2025
भारत ने ट्रंप के दावे को किया खारिज
हालांकि भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा किए गए दावों का खंडन किया है. भारत की तरफ से कई बार ये बात कही जा चुकी है कि भारत के जवाबी हमलों से त्रस्त होकर पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर की पहल की गई थी. जिसके बाद भारत ने इस पर सहमति जताई थी. भारत ने साफ कहा था कि दोनों देशों के बीच DGMO स्तर पर हुई बातचीत के बाद सीजफायर पर सहमति बनी थी.
लोकसभा में पीएम ने क्या कहा
इस सप्ताह के शुरू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान लोकसभा में बोलते हुए इस बात पर जोर दिया था कि किसी भी विश्व नेता ने भारत से यह ऑपरेशन बंद करने को नहीं कहा था. पीएम मोदी ने कहा था ‘दुनिया के किसी भी नेता ने भारत से अपना ऑपरेशन रोकने को नहीं कहा. 9 मई की रात को अमेरिका के उप राष्ट्रपति ने मुझसे बात करने की कोशिश की. उन्होंने एक घंटे तक कोशिश की, लेकिन मैं अपनी सेना के साथ मीटिंग में था, इसलिए मैं उनका फोन नहीं उठा सका. बाद में मैंने उन्हें वापस कॉल किया. अमेरिका के उपराष्ट्रपति ने मुझे फोन पर बताया कि पाकिस्तान बड़ा हमला करने वाला है. मेरा जवाब था कि अगर पाकिस्तान की यही मंशा है तो उसे बहुत नुकसान होगा. अगर पाकिस्तान हमला करता है तो हम बड़ा हमला करके जवाब देंगे. ये मेरा जवाब था’.
पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले 26 नागरिकों की मौत हो गई थी. इस हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर हमला किया. भारत ने इसके बाद पाकिस्तान के सैन्य आक्रमण को नाकाम कर दिया और उसके हवाई ठिकानों पर बमबारी की. पाकिस्तान के डीजीएमओ द्वारा अपने भारतीय समकक्ष को किए गए फोन के बाद भारत और पाकिस्तान शत्रुता समाप्त करने पर सहमत हो गए थे.