होम देश Orissa high court orders govt to give freedom fighter pension to 101 year old man 101 साल के स्वतंत्रता सेनानी को हाईकोर्ट ने दिया पेंशन देने का आदेश, क्यों नहीं मान रही थी सरकार?, India News in Hindi

Orissa high court orders govt to give freedom fighter pension to 101 year old man 101 साल के स्वतंत्रता सेनानी को हाईकोर्ट ने दिया पेंशन देने का आदेश, क्यों नहीं मान रही थी सरकार?, India News in Hindi

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ओडिशा हाईकोर्ट ने 101 साल के एक शख्स को फ्रीडम फाइटर पेंशन देने का आदेश दिया है। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा है कि देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले सेनानियों का सम्मान करने की जरूरत है।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानFri, 1 Aug 2025 01:02 AM

ओडिशा हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए एक 101 वर्षीय शख्स को सैनिक सम्मान पेंशन देने का आदेश दिया है। उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा है कि सरकार का यह दावा कि उसने अपनी उम्र 10 साल बढ़ाने के लिए मतदाता सूची में हेराफेरी की थी, महज एक पूर्वधारणा है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि देश को गुलामी से निकालकर स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले सेनानियों का सम्मान किया जाना चाहिए।

जस्टिस शशिकांत मिश्रा ने कहा कि सरकार ने तर्क दिया था कि ब्रह्मानंद जेना नाम के शख्स ने इस योजना के तहत पेंशन का लाभ उठाने के लिए मतदाता सूची में अपनी उम्र 10 साल बढ़ा ली थी। हालांकि कोर्ट ने कहा कि तर्क को सही साबित करने के लिए सरकार कोर्ट के सामने “कागज का एक टुकड़ा भी” पेश नहीं कर पाई।

गौरतलब है कि नयागढ़ जिले के जेना ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल का हवाला देते हुए फरवरी 1981 में पेंशन के लिए आवेदन किया था। गृह मंत्रालय ने मई 1984 में उनका मामला ओडिशा सरकार को भेज दिया। इसके बाद उन्होंने जुलाई 1989 में सीधे राज्य के वित्त विभाग में पेंशन के लिए आवेदन किया लेकिन जेना का आवेदन स्वीकार नहीं किया गया। उन्होंने मार्च 2019 में फिर से आवेदन जमा किया, लेकिन अधिकारियों ने उनके उम्र के दावों को लेकर उनकी मांग खारिज कर दी।

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राज्य सरकार ने दावा किया था कि जेना ने 2002 की मतदाता सूची में अपनी उम्र में हेराफेरी की थी और पात्रता की शर्तों को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी उम्र दस साल बढ़ा ली। हालांकि कोर्ट ने इन दावों को खारिज कर दिया।

जस्टिस मिश्रा ने सुनवाई के दौरान कहा, “बिना किसी जांच के निष्कर्ष निकालना महज पूर्वधारणा है। इसके अलावा भी किसी वृद्ध शख्स पर इस तरह के आचरण का आरोप लगाना सही नहीं है। न्यायालय ने कई बार दोहराया है कि आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गए बलिदानों का सम्मान करना देश का कर्तव्य है और यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरती जानी चाहिए कि इस तरह की मांगों को तुच्छ आधारों पर खारिज न किया जाए।”

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