होम विदेश चीन से चल रहा है पंगा, जानें ड्रोन वॉर में कितनी मजबूत है ताइवान की आर्मी

चीन से चल रहा है पंगा, जानें ड्रोन वॉर में कितनी मजबूत है ताइवान की आर्मी

द्वारा

ताइवान पर चढ़ता चीन का खतरा

ताइवान और चीन के बीच लड़ाई बस शुरू होने ही वाली है, ऐसी चर्चा इन दिनों फिर तेज हो गई है. कभी ताइवान के नेता चेतावनी देते हैं, तो कभी अमेरिका के टॉप अफसर कहते हैं कि चीन 2027 तक हमला कर सकता है. इस बीच, युद्ध की तकनीक में आए बदलावों, खासतौर से ड्रोन युद्ध की अहमियत ने इस टकराव को और भी पेचीदा बना दिया है.

चीन और ताइवान की सैन्य ताकत में भारी अंतर तो पहले से था, लेकिन अब ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में भी चीन की बढ़त चिंता का कारण बनती जा रही है. आइए जानते हैं दोनों देशों की सैन्य ताकत में कितना अंतर है, खासकर ड्रोन के मामले में.

सैन्य ताकत: चीन भारी, ताइवान सतर्क

ग्लोबल फायरपावर 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के पास 20 लाख से ज्यादा सक्रिय सैनिक हैं, जबकि ताइवान के पास महज 2 लाख 15 हजार. वायुसेना में भी चीन के पास 3,309 एयरक्राफ्ट हैं, जो ताइवान की कुल 761 एयरक्राफ्ट की संख्या से चार गुना ज्यादा हैं.

यानी, हर मोर्चे पर चीन की सैन्य ताकत कई गुना ज्यादा है. यही वजह है कि ताइवान अब तकनीक और खासकर ड्रोन इंडस्ट्री पर दांव लगा रहा है, ताकि वह पारंपरिक ताकत की इस खाई को कुछ हद तक पाट सके.

ड्रोन वारफेयर: चीन की दौड़ में ताइवान पीछे

ड्रोन युद्ध आधुनिक जंग का नया चेहरा बन चुके हैं. चीन ने 1990 के दशक में ही इस क्षेत्र में निवेश शुरू कर दिया था. 2015 में एक अनुमान आया था कि 8 साल के भीतर चीन 42,000 ड्रोन बनाएगा. आज, उसके पास दसियों हज़ार ड्रोन हैं जिनमें से कई जेट पावर्ड, लॉन्ग-रेंज और स्टील्थ तकनीक से लैस हैं.

एक उदाहरण है CSSC की ओर से विकसित JARI USV-A, जो एक 60 मीटर लंबा, 300 टन वजनी, वर्टिकल लॉन्च मिसाइलों से लैस अनमैन्ड सरफेस वेसल है. चीन की रणनीति साफ है ड्रोन टेक्नोलॉजी को सैन्य शक्ति के विस्तार का जरिया बनाना.

ताइवान की चुनौतियां और जवाब

ताइवान, जो दुनिया के सबसे उन्नत टेक्नोलॉजी हब में गिना जाता है, ड्रोन की अहमियत को लंबे समय तक नजरअंदाज करता रहा. 2022 से पहले तक उसके पास केवल चार प्रकार के कुछ सौ ड्रोन थे. वहीं चीन के पास 50 से ज्यादा प्रकार के ड्रोन और कुल संख्या में भारी बढ़त है. 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान ड्रोन युद्ध की ताकत ने ताइवान को झकझोरा. इसके बाद ताइवान सरकार ने ड्रोन नेशनल टीम नाम की एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की ताकि घरेलू ड्रोन इंडस्ट्री को युद्ध जैसी स्थिति में भी आत्मनिर्भर बनाया जा सके.

China Taiwan Comparison

हालांकि, एक बड़ी समस्या यह है कि ताइवानी निर्माता, चीन की सस्ती कीमतों का मुकाबला नहीं कर पा रहे. चीन की DJI कंपनी, जो शेनझेन स्थित है, दुनिया के 70% ड्रोन बाजार पर कब्जा रखती है. इसके चलते ताइवानी कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में बने रहना बेहद मुश्किल हो रहा है.

ताइवान की उत्पादन क्षमता क्या है, जरूरत कितनी?

ताइवान की वार्षिक ड्रोन उत्पादन क्षमता फिलहाल 8,000 से 10,000 यूनिट्स के बीच है. जबकि उसका लक्ष्य 2028 तक 1.8 लाख यूनिट्स सालाना बनाना है. ये आंकड़े DSET (Research Institute for Democracy, Society and Emerging Technology) की रिपोर्ट में सामने आए हैं. यानी, ताइवान को अपने टारगेट तक पहुंचने के लिए हर साल उत्पादन को 18 गुना बढ़ाना होगा, जो कि मौजूदा हालात को देखते हुए एक बड़ी चुनौती है.

आपको यह भी पसंद आ सकता हैं

एक टिप्पणी छोड़ें

संस्कृति, राजनीति और गाँवो की

सच्ची आवाज़

© कॉपीराइट 2025 – सभी अधिकार सुरक्षित। डिजाइन और मगध संदेश द्वारा विकसित किया गया