होम विदेश ‘युनूस सरकार भी कर रही है वही पुरानी गलती’, ह्यूमन राइट्स वॉच का बड़ा आरोप

‘युनूस सरकार भी कर रही है वही पुरानी गलती’, ह्यूमन राइट्स वॉच का बड़ा आरोप

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मोहम्मद यूनुस और शेख हसीना

पिछले साल शेख हसीना की 15 साल पुरानी सत्ता के पतन के बाद, बांग्लादेश में नई शुरुआत की उम्मीदें जगी थीं. लेकिन एक साल बाद, ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) की रिपोर्ट बताती है कि मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार भी वादों पर खरी नहीं उतर रही. मानवाधिकारों की रक्षा की जगह अब भी राजनीतिक प्रतिशोध, मनमानी गिरफ्तारी और अल्पसंख्यकों पर हमले जैसे मामले सामने आ रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में जब हसीना की सरकार के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन हुआ था, तब करीब 1400 लोगों की मौत हुई. इसके बाद 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता युनूस की अगुआई में अंतरिम सरकार बनी. लेकिन HRW का कहना है कि पुराना डर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. सुरक्षा बलों का रवैया अभी भी डराने वाला है और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है.

मनमानी गिरफ्तारियां और बिना सबूत मुकदमे

HRW की रिपोर्ट बताती है कि युनूस सरकार ने हजारों लोगों को सिर्फ शक के आधार पर गिरफ्तार किया है. इनमें से अधिकतर लोग पूर्ववर्ती अवामी लीग पार्टी से जुड़े बताए जाते हैं. कई मामलों में आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन फिर भी उन्हें जेल में रखा गया है. उदाहरण के तौर पर, पूर्व मेयर मोहम्मद आतिकुल इस्लाम पर 68 हत्या के केस हैं, जिनमें से 36 ऐसे हैं जब वो देश में ही नहीं थे.

अल्पसंख्यकों पर हमले, पत्रकारों पर दबाव

रिपोर्ट के मुताबिक, धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले भी जारी हैं. जुलाई में रंगपुर जिले में हिंदू समुदाय के 14 घर जला दिए गए. चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स में भी लगातार उल्लंघन की खबरें आ रही हैं. साथ ही, पत्रकारों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को धार्मिक उग्रवादियों और राजनीतिक दलों के दबाव का सामना करना पड़ रहा है.

सुधारों की पहल, लेकिन अमल नहीं

अंतरिम सरकार ने सुधार के लिए 11 आयोग बनाए, जिनमें पुलिस, न्यायपालिका और महिलाओं के अधिकारों पर सुझाव दिए गए. लेकिन अब तक इन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. एक आयोग ने गायब किए गए लोगों पर 1800 से ज्यादा शिकायतें दर्ज की हैं, लेकिन सुरक्षा बलों का रवैया सहयोगी नहीं रहा. कई सबूत नष्ट कर दिए गए, और कई आरोपी अफसर देश से भागने में कामयाब हो गए.

सेना और पुलिस पर कार्रवाई में ढील

हसीना सरकार के समय जिन सुरक्षाबलों ने अत्याचार किए, उनके खिलाफ कार्रवाई बेहद सीमित है. HRW के मुताबिक, सिर्फ 60 पुलिस अफसरों की गिरफ्तारी हुई, जबकि ऑपरेशन में दर्जनों यूनिट शामिल थीं. खासतौर से बदनाम Rapid Action Battalion को भंग करने की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. Human Rights Watch ने कहा कि सरकार को तुरंत मनमानी गिरफ्तारियों को रोकना चाहिए, प्री-ट्रायल डिटेंशन को अपवाद बनाना चाहिए और सुरक्षा बलों की जवाबदेही तय करनी चाहिए.

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