नेपाल कांग्रेस में दो फाड़ (Photo- Nepal Govt)
नेपाल की सबसे बड़ी कांग्रेस पार्टी में बगावत हो गई है. बगावत का बिगुल बागमती प्रांत के मुख्यमंत्री बहादुर सिंह लामा ने फूंका है. लामा ने हाईकमान के फैसले के खिलाफ जाकर मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ने की बात कही है. बुधवार (30 जुलाई) को कांग्रेस हाईकमान ने लामा की जगह इंद्र कुमार बनिया को विधायक दल का नेता चुना था. बागमती नेपाल का सबसे बड़ा प्रांत है.
कांतिपुर मीडिया के मुताबिक लामा का कहना है कि उन्हें विश्वास मत हासिल करने का मौका मिलेगा. जब वो सदन में विश्वास मत हासिल करेंगे, तब अपनी शक्ति सभी को दिखा देंगे.
कांग्रेस की ऐसी स्थिति क्यों?
बागमती में विधानसभा की 110 सीटें हैं. 2022 के चुनाव में यहां कांग्रेस पार्टी को 37 सीटों पर जीत मिली थी. केपी शर्मा ओली की पार्टी यूएमएल को 27, प्रचंड की पार्टी माओवादी सेंटर को 21 और माधव नेपाल की पार्टी को 7 सीटों पर जीत मिली थी.
लमिछाने की पार्टी ने बागमती में 13 सीटों पर जीत हासिल की थी. वर्तमान में ओली की पार्टी के साथ कांग्रेस यहां पर गठबंधन की सरकार में है. पिछले साल कांग्रेस ने बहादुर सिंह लामा को यहां की बागडोर सौंपी थी, लेकिन लामा और हाईकमान के रिश्ते खराब हो गए.
काठमांडू पोस्ट के मुताबिक कांग्रेस ने लामा को हटाने के लिए विधायक दल की बैठक बुलाई, जिसमें से 23 विधायकों ने लामा के खिलाफ वोटिंग की. लामा को 14 विधायकों का समर्थन प्राप्त हुआ, जिसके कारण लामा ने अब बगावती रवैया अपना लिया है.
लामा का कहना है कि उन्हें साजिशन पद से हटाया जा रहा है. जनता और नेताओं का उनके पास समर्थन है, इसलिए वे हाईकमान के सामने नहीं झुकने वाले हैं.
सवाल- अब आगे क्या होगा?
लामा के पास 14 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. लामा इन 14 विधायकों को अगर अपने साथ रखते हैं और विपक्ष के 46 विधायकों को साध लेते हैं तो बागमती में कांग्रेस के हाथ से सत्ता चली जाएगी.
कांग्रेस के पास अभी 23 विधायक अपना और 27 विधायक यूएमएल का है. यानी बहुमत के आंकड़े से करीब 10 सीटें पार्टी पीछे है. कहा जा रहा है कि बागमती में अगर बगावत सफल रहती है तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा की आगे की राह और मुश्किल हो जाएगी.