पीएम नेतन्याहू और डोनाल्ड ट्रंप. (फाइल फोटो)
अमेरिका ने इजराइल को बड़े पैमाने पर हथियार बेचने की मंजूरी दे दी है. अमेरिकी सीनेट ने 675 मिलियन डॉलर की डील को हरी झंडी दे दी है. इस डील के तहत इजराइल को 5 हजार बम और हजारों असॉल्ट राइफलें मिलेंगी.
माना जा रहा है कि ये खरीदारी ईरान को काबू में लाने की इजराइली रणनीति का हिस्सा है. हालांकि इस डील का विरोध भी हुआ. अमेरिकी सीनेट में डेमोक्रेट सांसदों के एक बड़े तबके ने हथियार बिक्री पर रोक लगाने की कोशिश की, लेकिन वो नाकाम रहे.
डील को ईरान से क्यों जोड़ा जा रहा है?
इस डील को सीधे-सीधे ईरान से जुड़ी तनातनी के साथ जोड़ा जा रहा है. इजराइल पहले ही कह चुका है कि अगर अगस्त तक ईरान न्यूक्लियर डील के लिए तैयार नहीं हुआ, तो वह एकतरफा कार्रवाई करेगा. ईरान ने यूरेनियम संवर्धन की रफ्तार कम करने से इनकार कर दिया है, जिससे पश्चिमी देशों की चिंता और बढ़ गई है. ऐसे में हथियारों की ये भारी खेप इजराइल को मिलने का मतलब साफ है- ईरान को चेतावनी देना.
आधे डेमोक्रेट विरोध में, फिर भी पास हो गई डील
सीनेट में दो प्रस्ताव लाए गए थे, जिनका मकसद इस डील को रोकना था. एक प्रस्ताव के खिलाफ 70-27 और दूसरे के खिलाफ 72-24 वोटिंग हुई. दिलचस्प बात ये रही कि 27 डेमोक्रेट सांसदों ने हथियार बिक्री के खिलाफ वोट डाला. सीनेटर बर्नी सैंडर्स, जो पहले से ही इजरायली सरकार की नीतियों के आलोचक रहे हैं, उन्होंने ही ये वोटिंग करवाने का दबाव बनाया था. इससे पहले जनवरी में सिर्फ 10 डेमोक्रेट सांसदों ने इस तरह का विरोध जताया था, लेकिन इस बार संख्या कहीं ज्यादा रही.
गाजा में जारी तबाही से बढ़ रहा दबाव
गाजा में चल रही लड़ाई, भुखमरी और मानवीय संकट ने कई डेमोक्रेट सांसदों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. सीनेट की फॉरेन रिलेशन कमेटी की टॉप डेमोक्रेट सीनेटर जीन शाहीन ने भी डील के खिलाफ वोट दिया. उन्होंने जैसे ही समर्थन जताया, कई और मॉडरेट डेमोक्रेट भी साथ आ गए. हालांकि, डेमोक्रेट नेता चक शूमर और सीनेटर कोरी बुकर जैसे दिग्गजों ने डील के पक्ष में वोट दिया. रिपब्लिकन पार्टी ने पूरी तरह से इस हथियार बिक्री का समर्थन किया.