होम झारखंड कमीशन की कोचिंग! टेंडर से पहले कैसे आया ‘फिजिक्स वाला’ का नाम? सियासी गलियारे में उठे सवाल

कमीशन की कोचिंग! टेंडर से पहले कैसे आया ‘फिजिक्स वाला’ का नाम? सियासी गलियारे में उठे सवाल

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Jharkhand News: झारखंड में कोचिंग योजना को लेकर विवाद शुरू हो गया है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने हेमंत सोरेन सरकार पर आदिवासी छात्रों की शिक्षा योजनाओं में भ्रष्टाचार फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह पूर्व में शराब घोटाले को अंजाम दिया गया, उसी तर्ज पर अब सरकार अनुसूचित जनजाति शिक्षण उत्थान कार्यक्रम के नाम पर एक और कोचिंग घोटाले की तैयारी में है.

ट्राइबल वेलफेयर कमिश्नर ने जारी किया टेंडर

प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि ट्राइबल वेलफेयर कमिश्नर की ओर से टेंडर संख्या 2025_WELFR_103203_1 जारी किया गया है, जिसमें 300 अनुसूचित जनजाति के छात्रों को नीट (NEET) और आईआईटी-जेईई (IIT-JEE) जैसी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए विभिन्न संस्थानों से प्रस्ताव मांगे गये हैं. यह प्रक्रिया अभी जारी है और टेंडर खुलने की तिथि 11 अगस्त निर्धारित है.

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टेंडर से पहले कोचिंग संस्था “फिजिक्स वाला” का नाम घोषित

अजय साह ने इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि टेंडर प्रक्रिया पूर्ण होने से पहले ही विभागीय मंत्री और अधिकारियों द्वारा एक विशेष कोचिंग संस्था “फिजिक्स वाला” का नाम सार्वजनिक रूप से घोषित कर देना पूरे तंत्र की निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है. उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में भी फिजिक्स वाला के नाम का स्पष्ट उल्लेख किया गया है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि परिणाम पहले से तय है और टेंडर प्रक्रिया महज औपचारिकता बनकर रह गयी है.

शराब घोटाला के पैटर्न पर कोचिंग योजना में घोटाले की तैयारी

अजय साह ने इसे सरकार की एक और सुनियोजित लूट बताते हुए आरोप लगाया कि पहले शराब घोटाले में भी बाबूलाल मरांडी ने जिस कंपनी का नाम पहले ही उजागर किया था, वही बाद में ठेका प्राप्त करती दिखायी दी. अब इसी पैटर्न को कोचिंग योजना में दोहराया जा रहा है, जहां मंत्री और अधिकारी टेंडर खुलने से पहले ही तय संस्थान के साथ बैठक कर उसका नाम उजागर कर रहे हैं.

टेंडर प्रक्रिया पर रोक और जांच की मांग

अजय साह ने कहा कि सरकार की लापरवाही और कमीशनखोरी की नीति ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को पहले ही बर्बाद कर दिया है, और अब यह योजना आदिवासी छात्रों के भविष्य के साथ क्रूर मजाक बनती जा रही है. ऐसे छात्रों के लिए उन संस्थाओं का चयन होना चाहिए, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सक्षम हो, ना कि वे जो मंत्रियों और अधिकारियों को कमीशन दे सकें. भाजपा ने इस पूरे टेंडर प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने और एक उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.

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