होम राजनीति Bihar Chunav : कितनी सीटें जीतकर PK बनेंगे बिहार में किंगमेकर… क्या 19 साल पहले वाली कहानी फिर दोहराएगी?

Bihar Chunav : कितनी सीटें जीतकर PK बनेंगे बिहार में किंगमेकर… क्या 19 साल पहले वाली कहानी फिर दोहराएगी?

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Prashant Kishor News: क्या प्रशांत किशोर बिहार में किंगमेकर का रोल निभाएंगे? 19 साल पहले झारखंड में जो कहानी दोहराई गई, क्या वही कहानी बिहार चुनाव 2025 में पीके दोहराएंगे?

प्रशांत किशोर क्या बिहार में बनेंगे किंगमेकर?

हाइलाइट्स

  • प्रशांत किशोर 2025 में जन सुराज पार्टी के साथ सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.
  • विशेषज्ञों का मानना है कि पीके किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं.
  • पीके का BRDK फॉर्म्यूला बिहार के जातीय समीकरणों में महत्वपूर्ण है.

पटना. बिहार ही नहीं देश में चर्चा का विषय बना हुआ है कि चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर क्या बिहार चुनाव 2025 में बड़ा खेल करने जा रहे हैं? इस बार चुनावी मैदान में पीके की जन सुराज पार्टी एक नया विकल्प बनकर उभरी है. पीके के दावों और बिहार की बदलती सियासी हवा ने कई सवाल खड़े किए हैं. पहला, पीके कितनी सीटें जीत सकते हैं? क्या वह किंगमेकर की भूमिका निभाएंगे, जैसा कि 2006 में झारखंड में मधु कोड़ा ने किया था? यदि एनडीए या महागठबंधन बहुमत से चूक जाते हैं तो क्या पीके मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बन सकते हैं? दिल्ली, मुंबई और देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों के बीच यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि पीके बिहार में कितनी सीटें जीतने जा रहे हैं? 

पीके, जो पहले एक सफल चुनावी रणनीतिकार रहे हैं, अब अपनी पार्टी के साथ बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. उनके दावों और बिहार की बदलती सियासी हवा ने कई सवाल खड़े किए हैं. पीके की सभाओं में जिस तरह से भीड़ जुट रही है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कुछ बड़ा करने वाले हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या पीके साल 2006 में झारखंड में मधु कोड़ा ने जो किया था, वह बिहार में करेंगे? प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि उनकी पार्टी बिहार में बदलाव की लहर लाएगी. उन्होंने कहा कि बिहार के 60% से अधिक लोग नई व्यवस्था चाहते हैं, जो शिक्षा, रोजगार और विकास पर केंद्रित हो.

पीके निभाएंगे किंगमेकर की भूमिका

विशेषज्ञों का मानना है कि पीके की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ना एक कठिन चुनौती है. पीके की रणनीति में ब्राह्मण, राजपूत, दलित और कुर्मी समुदायों को साधने का ‘BRDK फॉर्म्यूला’ शामिल है, जो बिहार के जातीय समीकरणों को देखते हुए महत्वपूर्ण है. लेकिन अनुमानों के आधार पर, जन सुराज को 10 से 30 सीटें मिल सकती हैं. खासकर उन क्षेत्रों में जहां युवा और निराश मतदाता विकल्प की तलाश में हैं. बिहार में औसत जीत का अंतर 16,825 वोट रहा है और वोटर लिस्ट में बदलाव नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं. यदि जन सुराज इन करीबी सीटों पर प्रभाव डालती है तो यह एनडीए और महागठबंधन के लिए चुनौती बन सकती है. हालांकि, पीके का यह दावा कि उनकी पार्टी अकेले बहुमत 122 सीटें हासिल करेगी, कई विश्लेषकों को अतिशयोक्तिपूर्ण लगता है, क्योंकि आरजेडी और बीजेपी जैसे बड़े दलों का वोट बैंक अबी भी मजबूत है.

क्या मधु कोड़ा बनेंगे पीके?

2006 में झारखंड में निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा ने गठबंधन की अस्थिरता का फायदा उठाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की थी. क्या पीके ऐसा ही कुछ कर सकते हैं? विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बीजेपी-जेडीयू या आरजेडी-कांग्रेस बहुमत से चूक जाती है तो जन सुराज किंगमेकर की भूमिका निभा सकती है. लेकिन पीके ने स्पष्ट किया है कि वह किसी गठबंधन में शामिल नहीं होंगे. हालांकि, चुनाव के बाद हरियाणा में दुश्यंत चौटाला जैसा रोल भी पीके निभा लें तो हैरानी नहीं होगी. 2020 के हरियाणा चुनाव में दुष्यंत चौटाला बीजेपी के विरोध में चुनाव लड़ थी लेकिन सरकार में डिप्टी सीएम बनकर तकरीबन साढ़े चार साल सीएम बनकर रहे. हालांकि, पीके को लेकर यह कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी.

वहीं, झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा वाला का उदाहरण बिहार में पूरी तरह लागू नहीं होता. कोड़ा की सफलता छोटे राज्य और निर्दलीय विधायकों की संख्या पर निर्भर थी, जबकि बिहार में बड़े दलों का दबदबा है. फिर भी, पीके की युवा वोटरों और अति पिछड़ा व दलित समुदायों में बढ़ती अपील बीजेपी और आरजेडी के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है. पीके ने नीतीश कुमार की जेडीयू को 25 सीटों से कम रहने की भविष्यवाणी की है और दावा किया है कि नवंबर 2025 के बाद नीतीश मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे. हालांकि, यह संभावना कम लगती है कि बहुमत हासिल नहीं होने पर बीजेपी और नीतीश कुमार पीके को सीएम बनाए. हां पीके को डिप्टी सीएम का ऑफर जरूर किया जा सकता है. लेकिन शायद ही पीके मानें. ऐसे में पीके का गठबंधन विरोधी रुख और उनकी महत्वाकांक्षा मुख्यमंत्री पद तक ही सीमित हो सकती है.

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रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा…और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा… और पढ़ें

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