मालेगांव ब्लास्ट केस में फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को घेरते हुए निर्णय का स्वागत किया है. 31 जुलाई, गुरुवार को महाराष्ट्र की एक अदालत में ब्लास्ट केस में आरोपी साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित समेत तमाम आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने इन सभी को सबूतों के अभाव में बरी किया है. फैसले के बाद सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट में सीएम योगी ने कहा कि मालेगांव विस्फोट प्रकरण में सभी आरोपियों का निर्दोष सिद्ध होना ‘सत्यमेव जयते’ की सजीव उद्घोषणा है.
सीएम ने कहा कि यह निर्णय कांग्रेस के भारत विरोधी, न्याय विरोधी और सनातन विरोधी चरित्र को पुनः उजागर करता है, जिसने ‘भगवा आतंकवाद’ जैसा मिथ्या शब्द गढ़कर करोड़ों सनातन आस्थावानों, साधु-संतों और राष्ट्रसेवकों की छवि को कलंकित करने का अपराध किया है..
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपने अक्षम्य कुकृत्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हुए देश से माफी मांगनी चाहिए.
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मालेगांव फैसले में कोर्ट ने क्या कहा?
एनआईए कोर्ट ने 2008 मालेगांव बम विस्फोट मामले में अदालत ने कहा कि श्रीकांत प्रसाद पुरोहित के आवास में विस्फोटकों के भंडारण या संयोजन का कोई सबूत नहीं है. पंचनामा करते समय जांच अधिकारी द्वारा घटनास्थल का कोई स्केच नहीं बनाया गया था. घटनास्थल से कोई फिंगरप्रिंट, डंप डेटा या कुछ भी एकत्र नहीं किया गया था. नमूने दूषित थे, इसलिए रिपोर्ट निर्णायक नहीं हो सकती और विश्वसनीय नहीं हैं. विस्फोट में कथित रूप से शामिल बाइक का चेसिस नंबर स्पष्ट नहीं था. अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि विस्फोट से ठीक पहले यह साध्वी प्रज्ञा के कब्जे में थी.
फैसले पर क्या है बीजेपी की आधिकारिक प्रतिक्रिया?
उधर, मालेगांव ब्लास्ट मामले में एनआईए कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को बरी किए जाने पर भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘कांग्रेस की हिंदू आतंकवाद की साजिश ध्वस्त हो गई है. किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं था. कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाले कर्नल पुरोहित पर आरोप लगाया गया था. प्रज्ञा ठाकुर पर ब्लास्ट में अपनी मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था. उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि उसके बाद वह चल नहीं सकती थीं. यह विशुद्ध वोट बैंक की राजनीति के लिए कांग्रेस की साजिश थी. हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं.’