Tata Trusts: टाटा ट्रस्ट्स ने दो बहुत अहम फैसले किए। पहला, टाटा सन्स, जो पूरे टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी है, को अनलिस्टेड प्राइवेट कंपनी ही बने रहना चाहिए। दूसरा, अल्पसंख्यक शेयरधारक शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) ग्रुप से बातचीत शुरू करके उन्हें टाटा सन्स से बाहर निकलने का रास्ता दिया जाए।
टाटा ट्रस्ट्स की सोमवार को एक लंबी और गहन चर्चाओं वाली बैठक हुई। इसमें सभी ट्रस्टियों ने भाग लिया। इस बैठक में टाटा ट्रस्ट्स ने दो बहुत अहम फैसले किए। पहला, टाटा सन्स, जो पूरे टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी है, को अनलिस्टेड प्राइवेट कंपनी ही बने रहना चाहिए। दूसरा, अल्पसंख्यक शेयरधारक शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) ग्रुप से बातचीत शुरू करके उन्हें टाटा सन्स से बाहर निकलने का रास्ता दिया जाए।
टाटा सन्स अनलिस्टेड ही रहेगा
सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) के बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित किया है। इसके मुताबिक, टाटा सन्स के चेयरमैन (एन. चंद्रशेखरन) से कहा गया है कि वे हर संभव कोशिश करें ताकि टाटा सन्स अपनी वर्तमान स्थिति (एक अनलिस्टेड प्राइवेट कंपनी) न बदले। साथ ही, इस मामले में उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से पूरी तरह बातचीत करनी होगी।
एसपी ग्रुप को एक्जिट का प्रस्ताव
बैठक में यह भी तय हुआ कि टाटा सन्स के चेयरमैन से कहा जाए कि वे अल्पसंख्यक शेयरधारकों, यानी एसपी ग्रुप, से बात करके उन्हें टाटा सन्स से बाहर निकलने का विकल्प दें। चेयरमैन को इन मामलों पर एसआरटीटी को भी लगातार अपडेट देते रहना होगा। एसपी ग्रुप के पास टाटा सन्स में 18.37% हिस्सेदारी है। यह कदम एसपी ग्रुप के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वह भारी कर्ज से जूझ रहा है और अपने शेयर गिरवी रख चुका है।
चंद्रशेखरन का कार्यकाल बढ़ेगा
बैठक में यह भी फैसला हुआ कि टाटा सन्स के वर्तमान चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन का कार्यकाल फरवरी 2027 के बाद भी जारी रखने की प्रक्रिया शुरू की जाए। उनका बने रहना जरूरी माना जा रहा है क्योंकि टाटा सन्स नए क्षेत्रों (जैसे टाटा डिजिटल, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, एयर इंडिया, रक्षा और बैटरी) में भारी निवेश कर रहा है। पिछले कुछ सालों में 120 अरब डॉलर के निवेश के अलावा, अब वह 30,000 करोड़ रुपये और लगा रहा है।
पुराने तनाव और नई रणनीति
एसपी ग्रुप को बाहर निकालने का यह प्रस्ताव टाटा समूह की रणनीति में एक बड़ा बदलाव दिखाता है। दोनों समूहों के रिश्ते तब खराब हो गए थे जब 2022 में साइरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। साइरस मिस्त्री उसी परिवार से थे, जो एसपी ग्रुप चलाता है। इसी साल एसपी ग्रुप ने आरबीआई से टाटा सन्स की सार्वजनिक लिस्टिंग कराने की मांग की थी, ताकि सभी हितधारकों को फायदा हो।
टाटा सन्स की वित्तीय स्थिति और लिस्टिंग का दबाव
टाटा समूह का वित्त वर्ष 2025 का कुल राजस्व 15.34 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें 1.13 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। समूह का बाजार पूंजीकरण 37.84 लाख करोड़ रुपये था। टाटा सन्स का राजस्व 24% बढ़कर 5.92 लाख करोड़ रुपये हो गया, लेकिन शुद्ध लाभ 17% गिरकर 28,898 करोड़ रुपये रह गया। हालांकि, इसने लाभांश दोगुना करके 1,414.5 करोड़ रुपये कर दिया।
टाटा सन्स के पास वित्त वर्ष 2025 में 323 सहायक कंपनियां, 39 सहयोगी कंपनियां और 32 संयुक्त उद्यम थे। सितंबर 2022 में टाटा सन्स को एक ‘शीर्ष परत वाली गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी’ (एनबीएफसी-यूएल) घोषित किया गया था, जिसके तहत उसे सितंबर 2025 तक स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होना जरूरी है। कंपनी ने अब आरबीआई से डीलिस्टिंग की छूट के लिए आवेदन किया है।