मुगलों की रईसी की शुरुआत सही मायने में अकबर के दौर से हुई जब वो आर्थिक रूप से अधिक मजबूत हुए.
भारत में जब भी मुगल शासन का जिक्र किया जाता है तो उनकी रईसी और विलासिता की भी चर्चा जरूर होती है. कई मुगल बादशाहों को नशे की भी लत थी. भारत में मुगल शासन की स्थापना करने वाला बाबर हो या फिर शाहजहां सभी खूब नशा करते थे. इनमें जहांगीर को सबसे अधिक नशा करने वाला बादशाह बताया गया है. जहांगीर की आत्मकथा तक में इसका जिक्र मिलता था. इसके अलावा अन्य बादशाहों में कोई शराब का शौकीन था तो कोई अफीम या तंबाकू का लती थी. इसके अलावा बादशाहों के शौक भी काफी महंगे थे.ऐसे में सवाल उठता है कि वे खानपान से लेकर नशे के सामान तक, सब मंगाते कहां से थे, आइए जान लेते हैं इसका जवाब.
भले ही साल 1526 ईस्वी में इब्राहिम लोदी को हराकर बाबर ने भारत में मुगल शासन की स्थापना की थी पर इसे मजबूती प्रदान करने का श्रेय जाता है उसके पोते अकबर को. बाबर का शासन शुरू होने के दो साल बाद ही उसका निधन हो गया. फिर उसका बेटा हुमायूं युद्धों और शासन-प्रशासन को समझने में ही व्यस्त रहा. हुमायूं के बाद बेहद कम उम्र में अकबर ने सत्ता संभाली तो लंबे समय तक शासन किया. इसके साथ ही दूर-दूर तक मुगल साम्राज्य का विस्तार किया. सीमाओं के विस्तार के साथ ही अकबर ने व्यापार पर भी ध्यान दिया और इसे एक मुकाम तक पहुंचाया.
ऐसे शुरू हुआ विदेश से चीजें मंगाने का चलन
अकबर के दौर में मुगल साम्राज्य का आंतरिक व्यापार और विदेश व्यापार खूब फला-फूला और लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप तक इसका विस्तार हुआ. खासकर साल 1556 से 1707 ईस्वी के बीच मुगलों के स्वर्णकाल में धन-धान्य की खूब वृद्धि हुई. दूसरे देशों से वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंंध मजबूत हुए और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मुगलों ने अलग-अलग देशों से सामान मंगवाना शुरू किया तो तमाम सामान का निर्यात भी होने लगा. विदेशों में भारतीय सामान की मांग बढ़ी तो यूरोप और गैर यूरोपीय देशों तक व्यापार का विस्तार हुआ.

मुगलों में विदेश से फल मंगाने का भी चलन रहा है.. फोटो: Meta
प्रारंभिक मध्य काल में हिन्दुस्तान के व्यापारिक संबंध समकालीन चीन, अरब और मिस्र के साथ स्थापित हुए. फारस की खाड़ी और दक्षिण चीन सागर के बीच समुद्री मार्ग से व्यापार में वृद्धि हुई. फिर तो मुगल बादशाहों ने अलग-अलग देशों से कपड़े, शराब, फल के साथ ही साथ विलासिता की दूसरी चीजें भी मंगानी शुरू कर दीं. मुगल साम्राज्य के व्यापारिक संबंध यूरोप, मध्य पूर्व, और दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों के अलावा अन्य विभिन्न क्षेत्रों के साथ भी थे.
ईरान और मिडिल ईस्ट से आती थी शराब
इतिहासकारों की मानें तो बाबर शराब का काफी शौकीन था और उसके बाद सबसे बड़ा शराब का शौकीन बादशाह हुआ जहांगीर. अपने इस शौक को पूरा करने के लिए मुगल बादशाह ईरान (फारस) और मध्य एशिया के दूसरे देशों से शराब मंगाते थे. इन्हीं दो बादशाहों यानी बाबर और जहांगीर को अफीम का भी बड़ा लती माना जाता है. इसके लिए भी वे मध्य एशिया के देशों और ईरान पर निर्भर थे.

बाबर, जहांगीर समेत कई मुगल बादशाह शराब से शौकीन रहे. फोटो: Meta
चीन और यूरोप से मंगाते थे कपड़े
मुगल काल में एक और व्यापार जो खूब फला-फूला वह था कपड़ों का व्यापार. इसका विस्तार चीन से लेकर यूरोपीय देशों तक हुआ. मुगल एक ओर जहां चीन से रेशम का आयात करते थे, वहीं यूरोप से कीमती कपड़े मंगाते थे. इसके अलावा भारत के भीतर अलग-अलग क्षेत्रों से भी मुगल बादशाह कपड़े मंगाते थे. चीन से ही चाय का भी आयात मुगल काल में होता था.
फल और मेवों के लिए ईरान और अफगानिस्तान थे पसंद
फलों की बात करें तो खासतौर पर मेवे मुगल काल में ईरान और अफगानिस्तान से आयात किए जाते थे. मुगल शासक अपनी सेना में अच्छी-अच्छी नस्ल के घोड़े और हथियार रखते थे. घोड़ों के लिए काबुल मुगलों की पहली पसंद था. ईरान और मध्य एशिया के अन्य देशों से भी बढ़िया नस्ल के घोड़े मंगाए जाते थे.

मुगल ईरान और अफगानिस्तान से फल-मेवे आयात करते थे.
बहरीन से आते थे घोड़े
बहरीन, मस्कट और अदन से भी मुगल काल में घोड़े आयात किए जाते थे. सेना के लिए हथियार भी मुगल यूरोप के देशों से आयात करते थे. अन्य कई वस्तुएं भी यूरोप से मंगाई जाती थीं. चीन और दक्षिण एशिया से चीनी मिट्टी के बर्तन, लौंग, कपूर, मोम और चंदन की लकड़ी का आयात भी किया जाता था.
हिन्दुस्तान से निर्यात भी किए जाते थे सामान
मुगलकाल में हिन्दुस्तान सामान का केवल आयात नहीं करता था, बल्कि निर्यात भी करता था. निर्यात किए जाने वाले सामानों की सूची भी अच्छी-खासी है. इनमें सुगंधियां (इतर) और मसाले प्रमुख हैं. इनके अलावा सूती कपड़ा, हाथी दांत से बने सामान, बहुमूल्य रत्न और कीमती पत्थर की मणियां आदि का भरपूर निर्यात होता था. इनके अलावा हिन्दुस्तान से मुख्यत: खाद्यान्न, बुने हुए कपड़ा, नील का भी निर्यात होता था. सोना-चांदी जैसी बहुमूल्य धातुएं, जरी (ब्रोकेड) और रेशम के सामान बनाकर भी हिन्दुस्तान से दूसरे देशों को मुहैया कराया जाता था.
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