निसार एक ऐसा उपग्रह है जो हर मौसम और हर समय पृथ्वी का स्कैन कर सकता है। यह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की सतह को स्कैन करेगा। इस मिशन को ISRO और NASA की वैज्ञानिक दोस्ती की मिसाल माना जा रहा है।
NISAR Mission Launch: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO और अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की साझेदारी से बना उपग्रह ‘निसार’ (NISAR) बुधवार को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया। इसे आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया। यह अब तक का दुनिया का सबसे महंगा पृथ्वी स्कैनर मिशन है, जिसकी लागत लगभग 1.5 अरब डॉलर यानी करीब 12,500 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
करीब 19 मिनट की उड़ान के बाद निसार उपग्रह को सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में स्थापित कर दिया गया। खास बात यह रही कि यह पहली बार था जब GSLV रॉकेट को SSPO कक्षा में भेजा गया, वरना इसके सभी मिशन अब तक केवल GTO (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) तक ही सीमित रहे थे।
निसार क्यों है खास?
निसार एक ऐसा उपग्रह है जो हर मौसम और हर समय पृथ्वी का स्कैन कर सकता है। यह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की सतह को स्कैन करेगा। इसमें दो खास रडार लगे हैं – ISRO का S-बैंड और NASA का L-बैंड, जो इसे दुनिया का पहला दोहरी आवृत्ति वाला रडार सैटेलाइट बनाते हैं। यह भूकंप, भूस्खलन, ग्लेशियरों के पिघलने, जंगलों, खेतों और पहाड़ों में हो रहे बदलावों पर नजर रखेगा।
क्या मिलेगा फायदा?
इससे वैज्ञानिकों को पृथ्वी की सतह में हो रहे बदलावों की 3D तस्वीरें मिलेंगी। यह आपदाओं की पहचान और पूर्वानुमान में मदद करेगा। नीति-निर्माताओं और सरकारों को आपदा प्रबंधन और योजना बनाने में बड़ा सहारा मिलेगा। कृषि, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में यह डेटा बेहद उपयोगी होगा।
भारत-अमेरिका की मजबूत साझेदारी
इस मिशन को ISRO और NASA की वैज्ञानिक दोस्ती की मिसाल माना जा रहा है। NASA की उप-सह-प्रशासक केसी स्वेल्स ने इसे “तकनीकी सहयोग और सांस्कृतिक समझ का शानदार दशक” कहा। वहीं ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने इसे भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि बताया।
निसार मिशन का जीवनकाल 5 साल है। इसका ऑपरेशन ISRO करेगा और रडार संचालन की योजना NASA बनाएगा। दोनों एजेंसियां मिलकर इससे मिलने वाला डेटा वैज्ञानिकों तक पहुंचाएंगी।