केरल के कुलपति नियुक्ति विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक लहजे में कहा कि राज्य सरकार और राजभवन को आपसी सियासी पावर गेम में नहीं उलझना चाहिए बल्कि इस बात की चिंता करनी चाहिए कि छात्रों को किसी भी सूरत में परेशानी नहीं हो।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (30 जुलाई) को केरल के गवर्नर और पी विजयन सरकार से दो टूक लहजे में कहा है कि राज्य सरकार के दो शीर्ष नेतृत्व सियासी रस्साकशी और पावर गेम में न उलझें बल्कि छात्रों की चिंता को ध्यान में रखते हुए दो विश्वविद्यालयों में नियमित कुलपति की नियुक्ति के लिए सौहार्दपूर्ण दिशा में समाधान निकालें। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि किसी भी सूरत में छात्रों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और केरल डिजिटल विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कुलपतियों की नियुक्ति पर उपजे विवाद की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल से भी सहयोग की अपेक्षा करता है। कोर्ट ने कहा कि गवर्नर राज्य सरकार की सिफारिशों पर विचार करें और मिल बैठकर समाधान निकालें ।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ केरल के गवर्नर द्वारा एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में दायर एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में गवर्नर ने केरल हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें राज्य सरकार की सिफारिश के बिना विश्वविद्यालय के अस्थायी कुलपति की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया था।
दोनों से एक-दूसरे के साथ सहयोग करने की अपील
दोनों पक्षों को सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार और राज्यपाल, दोनों से एक-दूसरे के साथ सहयोग करने और जिद छोड़ने का आह्वान किया। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि यहां सवाल यह नहीं है कि कौन पक्ष अपने पॉलिटिकल पॉवर का बेहतर इस्तेमाल करेगा बल्कि यह बच्चों के भविष्य का मामला है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक नियमित कुलपतियों की नियुक्तियां पूरी नहीं हो जातीं, तब तक केरल के राज्यपाल (पदेन कुलाधिपति) अस्थायी कुलपतियों को उनके पदों पर बनाए रखने के लिए अधिसूचना जारी करने, या अस्थायी आधार पर किसी नए व्यक्ति को नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
फिलहाल गवर्नर को राहत, SC ने क्या कहा?
पीठ ने अपने आदेश में लिखा, “हम अटॉर्नी जनरल के इस तर्क से प्रभावित हैं कि अब पहला कदम दोनों विश्वविद्यालयों में नियमित कुलपतियों की नियुक्ति के लिए कदम उठाना होना चाहिए। हालांकि, इसमें कुछ समय लग सकता है। इस बीच, कुलाधिपति किसी व्यक्ति की नियुक्ति या पहले से नियुक्त व्यक्ति को कुलपति का पदभार ग्रहण करने की अनुमति देने हेतु अधिसूचना जारी कर सकते हैं। हमें सूचित किया गया है कि नियमित कुलपति की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। हालांकि, खोज समिति के गठन को चुनौती दी गई है…और हाई कोर्ट द्वारा अंतरिम आदेश पारित किया जा चुका है… इसलिए, आज हम केवल यही अनुरोध कर रहे हैं कि राज्य सरकार दोनों विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के मामले में कुलाधिपति (गवर्नर) के साथ मिल बैठकर कोई व्यवस्था बनाए।”
क्या है विवाद?
बता दें कि नवंबर 2024 में राज्य के तत्कालीन गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने डॉ. के. शिवप्रसाद और डॉ. सीजा थॉमस को क्रमशः एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (केटीयू) और केरल डिजिटल विज्ञान नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (केडीटीयू) का अस्थायी कुलपति नियुक्त किया था। इस साल 19 मई को केरल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। 14 जुलाई को, हाई कोर्ट की दूसरी बेंच ने भी एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा। इसके खिलाफ राजभवन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।