होम देश PM Modi Attack Congress said Indus Waters Treaty inked by Nehru bars India from desilting dams बांधों की गाद तक नहीं हटा सकता था भारत, मानी पाक की शर्त; नेहरू की गलती बता मोदी ने खूब सुनाया, India News in Hindi

PM Modi Attack Congress said Indus Waters Treaty inked by Nehru bars India from desilting dams बांधों की गाद तक नहीं हटा सकता था भारत, मानी पाक की शर्त; नेहरू की गलती बता मोदी ने खूब सुनाया, India News in Hindi

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लोकसभा में पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि इस संधि ने भारत के किसानों और कृषि को नुकसान पहुंचाया, जिससे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्यों में पानी की कमी और अंतर-राज्यीय जल विवाद बढ़े।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में सिंधु जल संधि को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के फैसले पर तीखा हमला बोला। उन्होंने इस संधि को भारत के हितों के खिलाफ और देश के किसानों के लिए हानिकारक करार दिया। पीएम मोदी ने कहा कि 1960 में नेहरू द्वारा साइन की गई इस संधि में एक ऐसी शर्त शामिल थी, जिसके तहत भारत को अपने बांधों की डिसिल्टिंग यानी गाद हटाने तक से से रोका गया था। इसके अलावा, एक बांध के गेट को वेल्डिंग करके बंद कर दिया गया ताकि इसे गलती से भी न खोला जा सके।

भारत के हितों को ‘‘गिरवी’’ रख देना कांग्रेस की पुरानी आदत- मोदी

लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर 19 घंटे की बहस में हिस्सा लेते हुए पीएम मोदी ने कहा, “सिंधु जल संधि नेहरू की सबसे बड़ी भूल थी। इस संधि ने भारत के 80% जल को पाकिस्तान को दे दिया, जबकि भारत जैसे विशाल देश को मात्र 20% जल मिला। यह कैसी कूटनीति थी?” उन्होंने बताया कि नेहरू ने बाद में इस फैसले पर पछतावा जताया था और इसे सुधारने की बात कही थी, लेकिन बाद की कांग्रेस सरकारों ने इस गलती को सुधारने की कोई कोशिश नहीं की।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत के हितों को ‘‘गिरवी’’ रख देना कांग्रेस की पुरानी आदत है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिंधु जल समझौता है, जो नेहरू जी ने पाकिस्तान के साथ किया था। उन्होंने कहा, ‘‘सिंधु जल समझौता, भारत की अस्मिता और स्वाभिमान के साथ किया गया बहुत बड़ा धोखा था। देश के एक बहुत बड़े हिस्से को जल संकट में धकेल दिया गया।’’

मोदी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि इस समझौते के कारण देश बहुत पिछड़ गया, ‘‘हमारे किसानों को खेती का नुकसान हुआ। नेहरू जी तो उस ‘डिप्लोमेसी’ को जानते थे, जिसमें किसान का कोई वजूद नहीं था।’’ पीएम मोदी ने बताया कि संधि में शामिल एक शर्त के तहत भारत को अपने बांधों से गाद हटाने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने कहा, “जब भी कोई बांध बनता है, उसमें गाद हटाने की व्यवस्था होती है, क्योंकि गाद से बांध की क्षमता कम होती है। लेकिन पाकिस्तान के कहने पर नेहरू ने यह शर्त मान ली कि भारत अपने बांधों की डिसिल्टिंग नहीं करेगा। एक बांध का गेट तो वेल्ड कर दिया गया ताकि उसे गलती से भी न खोला जा सके।”

नेहरू जी के ‘ब्लंडर’ को अब निलंबित कर दिया गया- मोदी

इसके परिणामस्वरूप, जम्मू-कश्मीर में बने बागलीहार और सलाल जैसे रन-ऑफ-द-रिवर बांधों की भंडारण क्षमता केवल 2-3% रह गई, क्योंकि 60 वर्षों तक इनके गेट नहीं खोले गए। पीएम ने कहा कि इस संधि ने भारत के जल संसाधनों का उपयोग करने की क्षमता को सीमित कर दिया, जिससे बिजली उत्पादन और सिंचाई की योजनाएं प्रभावित हुईं। उन्होंने कहा कि बाद में भी कांग्रेस की सरकारों ने नेहरू जी की इस गलती को सुधारा तक नहीं, लेकिन इस पुरानी गलती को अब सुधारा गया और ठोस निर्णय लिया गया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘नेहरू जी के ‘ब्लंडर’ (सिंधु जल समझौता) को देश हित और किसान हित में अब निलंबित कर दिया गया है। भारत ने तय कर दिया है कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास नेशनल सेक्युरिटी (राष्ट्रीय सुरक्षा) का ‘विजन’ न पहले था और न आज है और उसने ‘‘हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा पर समझौता किया है।’’

पहलगाम हमले के बाद संधि निलंबन

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 23 अप्रैल 2025 को सिंधु जल संधि को निलंबित करने का ऐलान किया। पीएम मोदी ने कहा, “हमने इस संधि को स्थगित कर दिया है, क्योंकि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” उन्होंने बताया कि भारत ने अब अपने बांधों की डिसिल्टिंग शुरू कर दी है और राजस्थान और गुजरात में नहरों के माध्यम से पानी पहुंचाने की योजनाएं बनाई जा रही हैं।

संधि का इतिहास और विवाद

सिंधु जल संधि 1960 में कराची में नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा साइन की गई थी। विश्व बैंक की मध्यस्थता में बनी इस संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों (ब्यास, रावी और सतलुज) पर नियंत्रण मिला, जिनका औसत वार्षिक प्रवाह 33 मिलियन एकड़ फीट है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) का नियंत्रण दिया गया, जिनका प्रवाह 135 मिलियन एकड़ फीट है। संधि को विश्व स्तर पर जल बंटवारे के एक सफल उदाहरण के रूप में देखा जाता है, लेकिन भारत में इसे हमेशा से पक्षपातपूर्ण माना गया है। पीएम मोदी ने कहा कि इस संधि ने भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को नुकसान पहुंचाया, क्योंकि सिंधु नदी भारत की पहचान का हिस्सा है।

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कांग्रेस ने हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने सिंधु जल संधि और मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमलों का हवाला देते हुए कांग्रेस पर मंगलवार को करारा प्रहार किया तथा कहा कि देश की आजादी के बाद उसने (कांग्रेस ने) हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है। मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को वापस लेने का मौका गंवा देने के आरोपों पर कहा, ‘‘आज जो लोग पूछ रहे हैं कि पीओके को वापस क्यों नहीं लिया, उन्हें सबसे पहले इस सवाल का जवाब देना होगा कि किसकी सरकार ने इस क्षेत्र पर पाकिस्तान को कब्जा करने का अवसर दिया था?’’

मोदी ने कहा, ‘‘वर्ष 1971 में पाकिस्तान के 93 हजार फौजी हमारे पास बंदी थे। हजारों किलोमीटर इलाका हमारी सेना ने कब्जा कर लिया था। हम विजय की स्थिति में थे। उस दौरान यदि थोड़ा सा भी ‘विजन’ होता, समझ होती तो पीओके वापस लेने का निर्णय लिया जा सकता था। वह मौका था, जिसे छोड़ दिया गया।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘जवाब साफ है, जब भी मैं (जवाहरलाल) नेहरू जी की चर्चा करता हूं कांग्रेस और उसका पूरा ‘इकोसिस्टम’ बिलबिला जाता है।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास नेशनल सेक्युरिटी (राष्ट्रीय सुरक्षा) का ‘विजन’ न पहले था और न आज है और उसने ‘‘हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा पर समझौता किया है।’’

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