लाखों को फायदा, नीतीश का बड़ा दांव
शिक्षक, पत्रकार और महिलाओं को नई उम्मीद
इसके साथ ङई बिहार में टीचर्स की बहाली में 1.51 लाख पदों पर नियुक्तियां चल रही हैं जिसमें 35% आरक्षण महिलाओं के लिए है. अगर आधे पदों (75,500) पर भी बहाली हुई तो 26,425 महिलाओं को नौकरी मिल सकती है. इसके अतिरिक्त संविदा और आउटसोर्सिंग नौकरियों में भी 35% आरक्षण से 1.5 लाख बहालियों में से 52,500 महिलाओं को फायदा होगा. कुल मिलाकर शिक्षकों और महिलाओं के लिए की गई घोषणाओं से लगभग 79,000 लोगों को फायदा मिल सकता है. पत्रकारों का भी ख्याल रखने की घोषणा की गई है और पत्रकारों के लिए पेंशन 6,000 से बढ़ाकर 15,000 रुपये की गई है. इससे लगभग 2,000 पात्र पत्रकारों को फायदा होगा. मृत्यु के बाद उनके जीवनसाथी को 10,000 रुपये मिलने की व्यवस्था भी है जो इन परिवारों को अतिरिक्त राहत देगी.
नीतीश कुमार का यह है सबसे बड़ा दांव!
कुल संख्या और दांव का सियासी असर
इन सभी घोषणाओं को जोड़ें तो 60.08 लाख पेंशनधारी, 80,000 आशा कार्यकर्ताएं, 78,925 शिक्षक और 2,000 पत्रकार मिलाकर लगभग 61.16 लाख लोग सीधे तौर पर लाभान्वित हुए हैं. इसके साथ ही करीब 1.4 लाख जीविका दीदियों के परिवारों के 3 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा. नीतीश कुमार के इन कदमों से ग्रामीण, महिलाओं, शिक्षकों और पत्रकारों जैसे बड़े वोट बैंक को अपने पाले में करने की कोशिश की है जो बिहार की आबादी का करीब 6-7% है. अब सवाल यह है कि क्या ये लाभान्वित होने वाली आबादी वोट में तब्दील होगी या नहीं?
नीतीश की रणनीति वोट में बदलेगे या नहीं?
तेजस्वी का रणनीति और नीतीश का ‘खामोश दांव’!
हालांकि, विपक्ष की ओर से तेजस्वी यादव ऐसी घोषणाओं को चुनावी स्टंट और उनकी नकल बता रहे हैं. हाल के दिनों में तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार की चुप्पी या खोमोशी को लेकर भी कई हमले किये हैं. लेकिन, जानकारों की नजर में हकीकत यही है कि नीतीश कुमार की चुप्पी और लगातार घोषणाएं एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगती हैं. वह बिना शोर-शराबे के काम कर रहे हैं जो उनकी मजबूत छवि को और मजबूत कर रही है. आशा-ममता मानदेय बढ़ोतरी और महिलाओं के लिए आरक्षण जैसे फैसले जनता के बीच सीधा संदेश पहुंचा रहे हैं. यह ‘खामोश रणनीति’ चुनावी माहौल में उनकी पकड़ को बरकरार रख सकती है.
कितना कारगर होगा नीतीश कुमार का दांव?
जानकार कहते हैं कि अगर ये घोषणाएं जमीन पर उतरीं तो 2025 में नीतीश की जीत की राह आसान हो सकती है, वरना विपक्ष इसे पलट सकता है.नीतीश कुमार ने 61.16 लाख लोगों को फायदा पहुंचाकर सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश की है. यह संख्या बिहार के वोटर बेस में बड़ा बदलाव ला सकती है, लेकिन जनता की प्रतिक्रिया और विपक्ष की रणनीति ही तय करेगी कि यह दांव कितना कारगर होगा. बहरहाल, जानकार तो यही कह रहे हैं कि फिलहाल भले ही तेजस्वी यादव, मुख्यमंत्री नीतीश की चुप्पी पर निशाना साध रहे हैं, लेकिन नीतीश की ‘खामोश रणनीति’ चुनावी दांव में भारी पड़ रही है!