अमेरिका की PrSM मिसाइल का ऑस्ट्रेलिया में परीक्षण किया गया.
चीन की चुनौती को स्वीकारते हुए US ने दुनिया को अपना सबसे घातक हथियार दिखाया है. यह एक ऐसा गेम चेजिंग हथियार है जो ताइवान की सुरक्षा की गारंटी माना जा रहा है. यह हथियार Precision Strike Missile (PrSM) है. इसे राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में विकसित किया गया है. इस मिसाइल को इस तरह तैयार किया गया है कि यह चीनी सेना को युद्ध की स्थिति में पूरी तरह से ध्वस्त करने की ताकत रखता है.
चीन पिछले कई सालों से ताइवान पर कब्जे की धमकी देता रहा है. ड्रैगन लगातार इस क्षेत्र में सैन्य अभ्यास के नाम पर उकसावे वाले कदम उठा रहा है. इसी को लेकर अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने चेतावनी दी थी ताइवान पर चीन का हमला कभी हो सकता है. उन्होंने इसे पूरी दुनिया के लिए सीधी चेतावनी बताया था.
ऑस्ट्रेलिया में किया गया परीक्षण
अमेरिका की PrSM मिसाइल का परीक्षण हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में किया गया. यहां मिसाइल ने 190 मील से अधिक दूरी पर स्थित लक्ष्य को सटीकता से भेद दिया. ऐसा पहली बार हुआ है जब अमेरिका द्वारा निर्मित इस मिसाइल का प्रयोग अमेरिका के किसी सहयोगी देश की ओर से किया गया. इस मिसाइल की खासियत यह है कि इसे अमेरिका निर्मित HIMARS लॉन्चर या ब्रिटेन की MLRS तोपखाना प्रणाली से दागा जा सकता है. हालांकि वर्तमान में इसकी प्रदर्शन सीमा 190 मील थी, लेकिन डिजाइनरों का दावा है कि इसकी असली मारक क्षमता 300 मील से अधिक है.
4000 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार
PrSM की एक और अहम खासियत इसकी स्पीड है, यह 4000 किमी प्रति घंटा की रफ्तार हासिल करती है, जो कि ATACMS मिसाइल की तुलना में तकरीबन 300 किमी प्रतिघंटा तेज है. ऐसे में युद्ध के हालात में चीन के युद्धपोतों और विमानवाहक पोतों को नष्ट करने में सक्षम भूमिका निभा सकती है. अमेरिका सेना के मुख्य प्राद्योगिकी अधिकारी एलेक्स मिलर के हवाले से द सन ने लिखा है कि यह मिसाइल दो सटीक-लक्षित मिसाइलों को ले जाने में सक्षम होगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रणाली में जामिंग की संभावना बेहद कम है, जिससे इसकी कार्यक्षमता और मारक क्षमता अत्यधिक बढ़ जाती है. यह मिसाइल हवा में गुप्त रूप से संचालित होती है और दुश्मन को देर तक इसका पता नहीं चलता.
अभी और होगी हाईटेक
PrSM के भविष्य को लेकर पहले ही काम शुरू हो चुका है. इसकी रेंज 300 मील से अधिक करने के साथ-साथ इसमें उन्नत सेंसर और आधुनिक वारहेड्स जोड़े जाने की योजना है. दूसरी ओर, चीन भी उच्च तकनीक हथियारों का भंडार बढ़ाने में जुटा हुआ है. हाल ही में वहां के स्टेल्थ बमवर्षकों, मिसाइलों और ड्रोनों में व्यापक सुधार किए गए हैं. चीन ने एक नया मानवरहित ड्रोन वाहक भी विकसित किया है.