अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान सीजफायर और टैरिफ को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत पर 20 से 25 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाया जा सकता है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि टैरिफ पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. बता दें कि यह पूछे जाने पर कि क्या भारत 20-25% के बीच टैरिफ का भुगतान करने जा रहा है? इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हां, मुझे ऐसा लगता है.
ट्रंप ने कहा कि भारत मेरा मित्र है. उन्होंने मेरे अनुरोध पर पाकिस्तान के साथ युद्ध खत्म कर दिया. हालांकि भारत के साथ समझौता अंतिम रूप से तय नहीं हुआ है. भारत एक अच्छा मित्र रहा है, लेकिन उन्होंने मूल रूप से किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक टैरिफ लगाए हैं.
When asked if India is going to pay high tariffs, between 20-25%, US President Donald Trump says, “Yeah, I think so. India is my friend. They ended the war with Pakistan at my request…The deal with India is not finalised. India has been a good friend, but India has charged pic.twitter.com/ioyIaDS8Xo
— ANI (@ANI) July 29, 2025
भारत-पाकिस्तान सीजफायर कराने का दावा
दरअसल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एयरफोर्स वन विमान में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. इस दौरान टैरिफ पर सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत एक अच्छा दोस्त रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों से उन्होंने अमेरिका के सामानों पर अब तक लगभग सबसे ज्यादा टैरिफ वसूला है. इसके साथ ही ट्रंप ने एक बार फिर ये दावा कर दिया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया था. उन्होंने कहा कि मैनें भारत से पाकिस्तान के साथ संघर्ष खत्म करने की अपील की थी.
अमेरिका से भारत आएगी टीम
बता दें कि भारत समेत कई देश अमेरिका के साथ ट्रेड डील को अंतिम रूप देने की कोशिश में लगे हैं. अमेरिका की टीम बैठक के लिए अगले महीने भारत आ रही है. जानकारी के मुताबिक दोनों देशों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय ट्रेड डील पर अगले दौर की बातचीत के लिए 25 अगस्त को अमेरिका से टीम भारत आएगी.
टैरिफ पर ट्रंप ने दी थी धमकी
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के देशों को चेतावनी दी थी कि जिन देशों ने हमारे साथ ट्रेड डील पर बातचीत नहीं की है, उनसे हम 15 से 20 प्रतिशत तक टैरिफ वसूल सकते हैं. अप्रैल महीने में अमेरिका ने जो 10% का टैरिफ बेसलाइन तय किया था, यह उससे बहुत ज्यादा है. हालांकि इसकी वजह से छोटे देशों पर आर्थिक दबाव पड़ सकता है.