अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘अदालत इस प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं पर गौर करेगी। लेकिन अगर निर्वाचन आयोग में संस्थागत अहंकार या राजनीतिक हठधर्मिता नहीं है तो वह इसे अभी आसानी से रोक सकता है।’
संसद का मॉनसून सत्र अब तक काफी हंगामेदार रहा है। विपक्ष की मांग है कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर बहस कराई जाए। हालांकि, संसद में इस मुद्दे पर चर्चा होने की उम्मीद बहुत कम है। सरकार की ओर से ऐसा ही संकेत मिला है। सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हुई। विपक्ष चाहता था कि इसके खत्म होने के तुरंत बाद SIR पर बहस की गारंटी दी जाए। इसे लेकर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अगर नियम इजाजत देते हैं तो स्पीकर तैयार हैं। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में फैसला होता है तो सरकार किसी भी विषय पर चर्चा कराएगी।
सरकार ने बिहार SIR पर चर्चा करने या मना करने को लेकर साफ बात नहीं कही। हालांकि, विपक्ष को यह आश्वासन पर्याप्त लगा और लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू हुई। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि बिहार में चुनाव आयोग के मतदाता सूची के संशोधन पर संसद में चर्चा नहीं हो सकती। इसके तीन कारण हो सकते हैं…
1. केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से चलाया जा रहा यह अभियान कोई चुनाव सुधार कार्यक्रम नहीं है। यह प्रशासनिक कदम है, जो ईसी समय-समय पर उठाता रहता है।
2. अगर मतदाता सूची के संशोधन पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा होती है तो विपक्ष के सवालों का जवाब कौन देगा। सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग संसद में आकर अपना पक्ष नहीं रख सकता।
3. कानून मंत्रालय चुनाव आयोग का नोडल मंत्रालय है, लेकिन यह आमतौर पर केवल प्रशासनिक काम देखता है और नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता।
विपक्ष चुनाव आयोग पर उठा रहा सवाल
बता दें कि विपक्षी दल बिहार में चल रहे एसआईआर का विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि निर्वाचन आयोग को संस्थागत अहंकार नहीं रखना चाहिए और बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को रोकना चाहिए। भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, राष्ट्रीय जनता दल सांसद मनोज झा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नेता नीलोत्पल बसु ने संवाददाता सम्मेलन किया। इस दौरान सिंघवी ने कहा कि निर्वाचन आयोग की कवायद एक नागरिकता परीक्षा बन गई है और उन्होंने इसकी वैधता पर सवाल उठाया। उन्होंने आयोग से राज्य विधानसभा चुनावों से पहले यह कवायद कराने के उसके फैसले को वापस लेने का आग्रह किया।