मनीषा ने आग की लपटों के बीच भी ढाल बनकर 8 महीने के ध्यांश को बचा लिया। दोनों बुरी तरह झुलस गए थे। मनीषा ने ध्यांश के घावों के इलाज के लिए अपनी स्किन भी डोनेट कर दी।
दुनिया में मां से बढ़कर शायद ही कोई प्रेम करना वाला मिलता हो। अहमदाबाद में 12 जून को हुए विमान हादसे से भी एक मां निस्वार्थ प्रेम का ऐसा ही उदाहरण पेश किया है। मेघाणी नगर में बीजे मेडिकल कॉलेज पर जब विमान गिरा तो उसी इमारत में मनीष कच्छाडिया भी अपने 8 महीने के बच्चे धन्यांश के साथ मौजूद थीं। विमान के गिरते ही आग धधक उठी और चारों ओर धुआँ फैल गया। ऐसी स्थिति में भी मनीषा अपने बच्चे की ढाल बनी रहीं। खुद की परवाह किए बिना उन्होंने धन्यांश को ढककर रखा और किसी तरह बाहर निकाल लाईं। इस दौरान वह खुद भी बुरी तरह झुलस गई थीं। बता दें कि इस विमान हादसे में कम से कम 260 लोगों की जान चली गई थी।
बच्चे के लिए उतरवा दी खाल
मनीषा ने ध्यांश को अपनी खाल भी दी है। पिछले ही सप्ताह दोनों को अस्पताल से छुट्टी दी गई है। मनीषा के पति कपिल कछाड़िया भी बीजे मेडिकल कॉलेज में यूरोलॉजी के स्टूडेंट हैं। विमान हादसे के वक्त कपिल ड्यूटी पर थे। वहीं मनीषा हॉस्टल में बच्चे के साथ मौजूद थीं। मनीषा ने बताया कि एक ही सेकंड में चारों ओर आग ही आग लग गई। मनीषा ने बच्चे को उठाया और बाहर की ओर भागी। चारों ओर लपटें उठ रही थीं और धुआं ही धुआं था।
मनीषा ने कहा, एक बार तो मुझे लगा कि अब हमारी जान नहीं बचेगी। लेकिन बच्चे के लिए मैंने कोशिश नहीं छोड़ी। हम दोनों ने जो दर्द सहा उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मनीषा के चेहरे और हाथ पर 25 फीसदी जल गई थीं। वहीं ध्यांश की 36 फीसदी बर्न इंजरी थी। ध्यांश के दोनों हाथों, सीना और पेट झुलस गया था। तुरंत दोनों को केडी अस्पताल ले जाया गया। ध्यांश को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा।
डॉक्टरों का कहना था कि ध्यांश की उम्र बहुत कम है और ऐसे में उसे बचाना बहुत मुश्किल है। उसके घावों को ठीक करने के लिए खाल की जरूरत थी। ऐसे में मनीषा ने कहा कि उनकी ही खाल उतार ली जाए। मनीषा ने अपनी स्किन डोनेट की और आज दोनों स्वस्थ्य हैं।