होम देश bihar special intensive revision options for voters whose names deleted बिहार में SIR पर क्या होगा, लिस्ट से हटे मतदाताओं के पास अब क्या विकल्प; चुनाव आयोग ने बताया, India News in Hindi

bihar special intensive revision options for voters whose names deleted बिहार में SIR पर क्या होगा, लिस्ट से हटे मतदाताओं के पास अब क्या विकल्प; चुनाव आयोग ने बताया, India News in Hindi

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चुनाव आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया के कुल 10 उद्देश्य हैं, जिनसे दो अब भी बचे हैं और उन पर काम चल रहा है। इसके बाद ही तस्वीर पूरी तरह साफ हो पाएगी। इसके तहत अब बूथ लेवल ऑफिसर्स का काम खत्म हो गया और अब इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स की जिम्मेदारी बढ़ गई है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तानMon, 28 July 2025 10:04 AM

सुप्रीम कोर्ट में आज बिहार में चुनाव आयोग की ओर से चलाए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन को लेकर सुनवाई है। इसे विशेष गहन पुनरीक्षण भी कहा जा रहा है, जिसके तहत वोटर लिस्ट तैयार करने से पहले चेक किया जा रहा है कि जो नाम दर्ज हैं, वे सही हैं या नहीं। मतदाता दिए गए पते पर ही रहते हैं या नहीं या फिर उनकी मृत्यु तो नहीं हो गई है। इस अभियान का विरोध भी चल रहा है। आरजेडी और कांग्रेस जैसे दल इसका विरोध कर रहे हैं। तेजस्वी यादव तो चुनाव प्रक्रिया के बहिष्कार जैसी बात भी कह चुके हैं। अब तक मिली जानकारी के अनुसार करीब 50 लाख मतदाता नई सूची में घट जाएंगे।

चुनाव आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया के कुल 10 उद्देश्य हैं, जिनसे दो अब भी बचे हैं और उन पर काम चल रहा है। इसके बाद ही तस्वीर पूरी तरह साफ हो पाएगी। इसके तहत अब बूथ लेवल ऑफिसर्स का काम खत्म हो गया और अब इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स की जिम्मेदारी बढ़ गई है। चुनाव आयोग का कहना है कि पूरे प्रदेश में कुल 243 इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स तय किए गए हैं। इसके अलावा 2,976 सहायक भी नियुक्त किए गए हैं। इन अधिकारियों को ही मतदाताओं की ओर से किए गए दावों पर फैसला लेना होगा।

आयोग का कहना है कि स्पेशल इंटेसिव रिविजन से किसी को भी चिंता में आने की जरूरत नहीं है। किसी मतदाता का नाम तभी काटा जाएगा, जब उसे पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया जाए। इसके लिए मतदाता डीएम और चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर के पास अपील कर सकेंगे। वॉलंटियर्स को ट्रेनिंग दी जाएगी कि वे अपील फाइल करें। इसके लिए एक फॉर्मेट भी शेयर किया गया है। बिहार के 91.69 फीसदी मतदाताओं ने फॉर्म जमा किए हैं। अब तक मिली जानकारी के अनुसार करीब 65 लाख लोगों के नाम लिस्ट से हट सकते हैं। इनमें से 22 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।

इसके अलावा 7 लाख लोग कई जगहों पर रहते हैं। ऐसे में उन लोगों के नाम किसी एक जगह पर ही दर्ज करने होंगे। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इन 65 लाख वोटर्स में से 36 लाख स्थायी रूप से कहीं शिफ्ट हो गए हैं और उनके बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही है। आयोग का कहना है कि इन लोगों के नाम कहीं और रजिस्टर हो चुके हैं या फिर यहां से पलायन कर लिया है। इसके अलावा 25 जुलाई की डेडलाइन को काफी लोग मिस कर चुके हैं। कुछ लोग ऐसे हैं, जो रजिस्टर ही नहीं कराना चाहते। अब इन सभी का स्टेटस 1 अगस्त, 2025 तक क्लियर होगा, जब इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स की ओर से परीक्षण कर लिया जाएगा।

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