होम विदेश 36 मिनट में अमेरिका को तहस-नहस कर देगा ईरान, चुपचाप बना ली ये मिसाइल

36 मिनट में अमेरिका को तहस-नहस कर देगा ईरान, चुपचाप बना ली ये मिसाइल

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ईरान ने बनाया खोर्रमशहर-5 नामक मिसाइल

डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर को लेकर दिए गए डेडलाइन से ठीक पहले ईरान ने अमेरिका तक मार करने वाला मिसाइल बना ली है. खोर्रमशहर-5 नामक यह मिसाइल ईरान की राजधानी तेहरान से अमेरिका पर आसानी से अटैक कर सकता है. मिसाइल को ईरान का सबसे खतरनाक मिसाइल बताया जा रहा है.

मेहर न्यूज एजेंसी के मुताबिक ईरान ने खोर्रमशहर सीरिज के 4 मिसाइलों का जब प्रक्षेपण किया, तो उसकी जानकारी पूरी दुनिया को दी, लेकिन सीरिज के 5 नंबर मिसाइल का चुपचाप प्रक्षेपण कर लिया है.

खोर्रमशहर-5 क्या है और उसकी ताकत कितनी है?

खोर्रमशहर ईरान का एक मशहूर शहर है. इसी के नाम पर ईरान ने अपना मिसाइल तैयार किया है. खोर्रमशहर-5 को सबसे उन्नत किस्म का मिसाइल माना जा रहा है. इसकी मारक क्षमता 12 हजार किमी है. इसमें 2 टन का वॉरहेड है. इसकी गति 16 MAC है.

मेहर न्यूज एजेंसी का कहना है कि तेहरान से दागे जाने के बाद इस मिसाइल को अमेरिका पहुंचने में करीब 36 मिनट का समय लगेगा. ईरान की राजधानी तेहरान से अमेरिका की दूरी 11 हजार किमी के आसपास है.यानी इस मिसाइल का इस्तेमाल कर ईरान आसानी से अमेरिका पर अटैक कर सकता है.

इजराइल जंग के दौरान हाल ही में देखा गया कि ईरान ने उसके शहरों पर खूब मिसाइल बरसाए. इजराइल के कई शहरों को तहस-नहस कर दिया. खोर्रमशहर-5 को लेकर अमेरिका ने कोई टिप्पणी नहीं की है.

ईरान की स्थानीय मीडिया के मुताबिक खोर्रमशहर-5 का वॉरहेड 2 टन का है, जो अमेरिकी बंकर बस्टर बम के समकक्ष है. ईरान जंग पर अमेरिका ने यही बम उसके 3 परमाणु ठिकानों पर गिराया था.

ईरान के पास 30 अगस्त तक का वक्त

ईरान को यूरेनियम संवर्धन को लेकर 30 अगस्त तक का डेडलाइन मिला है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम 30 अगस्त तक का इंतजार करेंगे. ईरान से अगर यूरेनियम संवर्धन को लेकर बातचीत नहीं होती है तो हम फैसला करेंगे.

अमेरिका ईरान से शून्य संवर्धन करने के लिए कह रहा है. वहीं ईरान का कहना है कि वो परमाणु तो नहीं बनाएगा, लेकिन संवर्धन शून्य भी नहीं करेगा. जानकारों का कहना है कि ईरान के पास 400 किलो ग्राम यूरेनियम है.

जून 2025 में यूरेनियम को लेकर ही ईरान और अमेरिका ने तेहरान के 3 ठिकानों पर अटैक किया था. 12 दिन तक चले इस जंग में ईरान के करीब एक दर्जन परमाणु वैज्ञानिक और सैन्य अफसर मारे गए.

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