गौरतलब है कि प्रदेश में 3200 करोड़ रुपये का शराब घोटाला हुआ है जिसकी जांच चल रही है। इस मामले में कई नेताओं की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने 2300 पन्नों का चालान पेश किया था, जिसमें घोटाले में इन अधिकारियों की संलिप्तता का खुलासा हुआ था ।
छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले मामले में निलंबन झेल रहे कुल 22 आबकारी अधिकारियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। अब इन लोगों की गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है। आबकारी अधिकारियों ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी जिसे रायपुर की विशेष अदालत ने खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि प्रदेश में 3200 करोड़ रुपये का शराब घोटाला हुआ है जिसकी जांच चल रही है। इस मामले में कई नेताओं की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने 2300 पन्नों का चालान पेश किया था, जिसमें घोटाले में इन अधिकारियों की संलिप्तता का खुलासा हुआ था ।
उल्लेखनीय है कि यह घोटाला 2019 से 2023 के बीच का है, जब आबकारी विभाग के अधिकारियों ने कथित तौर पर अनवर ढेबर के सिंडिकेट के साथ मिलकर अवैध शराब बिक्री का खेल रचा था। जांच में सामने आया कि बिना ड्यूटी पेड शराब को सरकारी दुकानों में बेचा गया, जिससे राज्य को भारी राजस्व का नुकसान हुआ। ईओडब्ल्यू की चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि इस घोटाले से 88 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की गई। अनवर ढेबर को इस रैकेट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है, जिसे 90 करोड़ रुपये का कमीशन मिला।
रायपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता संजय राठौर ने इस घोटाले को सत्ताधारी नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा बताया है और कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए दोषियों को सजा दिलाने की मांग की है। इस मामले में कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री कवासी लखमा और पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। ईओडब्ल्यू और ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि 2017 में बदली गई आबकारी नीति ने इस घोटाले की राह आसान कर दी थी।