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Bihar Chunav 2025: “मैं महुआ से चुनाव लड़ूंगा, तेजस्वी मेरे अर्जुन हैं.” तेजप्रताप यादव अपने इस बयान को लेकर बिहार की सियासत में एक बार फिर चर्चा में हैं. RJD और परिवार से निष्कासित होने के बाद मुजफ्फरपुर में …और पढ़ें

पटना स्थित आवास पर टीम तेज प्रताप यादव की बैठक में.

हाइलाइट्स

  • तेजप्रताप यादव महुआ से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे, तेजस्वी यादव को फिर से अपना “अर्जुन” बताया.
  • मामा साधु यादव और सुभाष यादव की तरह बगावत! मगर तेजप्रताप का रुख परिवार के प्रति नरम.
  • नया संगठन ‘Team Tej Pratap Yadav’ बनाया, बिहार विधानसभा चुनाव में हलचल की संभावना.
पटना. राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का ताजा बयान बिहार की राजनीति में फिर नया मोड़ लाता दिख रहा है. इस बयान की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि हाल के दिनों में तेज प्रताप यादव का ‘बागी रुख’ दिख रहा था. लेकिन, मुजफ्फरपुर के मझौलिया में एक निजी कार्यक्रम के दौरान तेज प्रताप यादव ने कहा, “मैं महुआ से चुनाव लड़ रहा हूं, ये तय है. तेजस्वी आज भी मेरे अर्जुन हैं.” तेज प्रताप का यह बयान एक ओर न केवल उनकी सियासी महत्वाकांक्षा को दर्शा रहा है, बल्कि दूसरी ओर लालू परिवार के आंतरिक और गहराई से परिपूर्ण संबंधों को भी बता रहा है. पार्टी (RJD) और परिवार से निष्कासित होने के बावजूद तेज प्रताप यादव का तेजस्वी यादव के प्रति सकारात्मक रुख बताता है कि वह परिवार से अलग नहीं होना चाहते हैं चाहे उन्होंने अपना नया संगठन ‘Team Tej Pratap Yadav’ ही क्यों न बना लिया हो.

हालांकि, इसके साथ ही एक सवाल सियासी गलियारों में पूछा जा रहा है कि क्या तेज प्रताप यादव भी अपने मामा साधु यादव और सुभाष यादव की राह पकड़ सकते हैं. दरअसल, तेज प्रताप का यह बयान उनके मामा साधु यादव और सुभाष यादव के लालू परिवार के साथ तनावपूर्ण रिश्तों की पृष्ठभूमि में और महत्वपूर्ण हो जाता है. बता दें कि लालू यादव के साले साधु यादव कभी आरजेडी सुप्रीमो (लालू प्रसाद यादव) के करीबी थे, लेकिन 2004 में लालू के साथ मतभेद के बाद उन्होंने अलग राह पकड़ ली थी. साधु यादव ने 2010 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और लालू परिवार की आलोचना की. 2021 में तेजस्वी यादव की शादी पर साधु यादव ने विवादास्पद टिप्पणी की थी जिसने खूब सुर्खियां बटोरी थी. एक ईसाई युवती से तेजस्वी यादव की शादी को साधु यादव ने “परिवार की छवि खराब करने वाला” बताया था और RJD से बगावत की थी.
Tej Pratap Yadav - Tejaswi Yadav
तेज प्रताप यादव हमेशा ही अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के लिए स्नेह दर्शाते रहे हैं. (फाइल फोटो)

जब तेजस्वी के लिए खुलकर सामने आए तेज प्रताप

उस दौर में भी तेज प्रताप यादव अपने भाई तेजस्वी यादव के साथ मजबूती के साथ खड़े थे. तब साधु यादव को उन्होंने “कंस मामा” कहकर जवाब दिया था और उन्होंने साधु यादव के आपराधिक इतिहास का जिक्र किया किया था. साधु यादव की तरह सुभाष यादव भी लालू यादव के साले हैं. एक समय उन्होंने भी परिवार के खिलाफ बगावत की थी. सुभाष यादव ने 2009 में RJD छोड़कर अलग संगठन बनाया और लालू के खिलाफ तीखी बयानबाजी की. दोनों ने लालू परिवार के खिलाफ बाहरी दलों के साथ गठजोड़ किया था जिससे RJD को नुकसान भी पहुंचा. खास बात यह रहा कि महत्वाकांक्षा की इस खींचतान में लालू यादव के दोनों साले (साधु यादव और सुभाष यादव) की हमेशा इच्छा रही कि वह फिर लालू परिवार के करीब हो जाएं. वहीं, अब तेज प्रताप यादव के साथ जुड़े विवाद के बीच भी तेज प्रताप यादव का रुख अपने मामा साधु यादव और सुभाष यदव से अलग है. जहां साधु और सुभाष ने अपने जीजा लालू यादव और तेजस्वी यादव की खुलकर आलोचना की थी, वहीं तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी यादव को “अर्जुन” कहकर एक तरह से उनके नेतृत्व को स्वीकार किया है.

तेज प्रताप लालू परिवार से अलग-थलग पड़े पर…

दरअसल, तेज प्रताप यादव का ताजा बयान उनके पुराने बयानों से ही मेल खाता है, जब वे खुद को “कृष्ण” और तेजस्वी को “अर्जुन” बताते रहे हैं. अब जब अपनी कथित प्रेमिका अनुष्का यादव से संबंधों को लेकर लालू परिवार से अलग-थलग पड़े तेज प्रताप का आरजेडी और परिवार दोनों से निष्कासन हुआ तो कई तरह की अटकलों, संभावनाओं और आशंकाओं ने भी जन्म लिया. इसी बीच RJD से निकाले जाने के बाद तेजप्रताप ने नया संगठन टीम तेज प्रताप बनाने की घोषणा की और वैशाली के महुआ से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी. लेकिन, उन्होंने इसके बाद भी छोटे भाई तेजस्वी यादव या पिता लालू यादव के खिलाफ तीखी टिप्पणी से हमेशा परहेज किया. जाहिर है तेज प्रताप यादव की यह रणनीति बताती है कि वह अपने परिवार के साथ रिश्ते पूरी तरह नहीं तोड़ना चाहते.एक ओर जहां साधु और सुभाष की बगावत ने RJD को कमजोर किया था, लेकिन तेज प्रताप का मामला अलग है क्योंकि वह अलग रहकर भी परिवार को राजनीति से ऊपर रखते हैं.
लालू यादव के साले साधु यादव और सुभाष यादव के रिश्ते लालू परिवार से असहज रहे हैं.

तेज प्रताप की इस रणनीति से राजद को खतरा!

हालांकि, हकीकत यह भी है कि तेज प्रताप यादव भी अपने समर्थकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके लाखों फॉलोअर्स हैं. उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी हैं. लेकिन, वह परिवार को हमेशा तरजीह देते हैं. हाल में एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा भी था कि परिवार और राजनीति बिल्कुल अलग बातें हैं.अब जब उन्होंने महुआ सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की है तो मामा साधु यादव और सुभाष यादव की तरह उनका यह फैसला RJD के लिए चुनौती बन सकता है. बिहार विधानसभा चुनाव में तेजप्रताप की यह रणनीति राजद (RJD) के वोट बैंक, खासकर यादव और मुस्लिम मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है.

स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश में तेज प्रताप

दूसरी ओर, इन सब आशंकाओं और सियासी सवालों के बीच मुजफ्फरपुर में दिया गया तेज प्रताप का यह बयान सियासी और भावनात्मक दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण है. जहां साधु और सुभाष ने परिवार के खिलाफ विद्रोह को हथियार बनाया था, वहीं तेजप्रताप ने तेजस्वी के साथ रिश्ते को बनाए रखने की कोशिश की है. उनका “Team Tej Pratap Yadav” और महुआ से चुनाव लड़ने का ऐलान उनकी स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश है, लेकिन तेजस्वी के प्रति नरम रुख दर्शाता है कि वे परिवार से पूरी तरह कटना नहीं चाहते. बहरहाल, बिहार की सियासत में तेज प्रताप यादव का वर्तमान रुख क्या रंग लाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा.

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Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट…और पढ़ें

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट… और पढ़ें

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तेजस्वी ‘अर्जुन’ बने रहेंगे…मामा की राह पर चले तेज क्या गुल खिलाने वाले हैं?

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