सूत्रों के मुताबिक, पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर बहस को लेकर सरकार की ओर से गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रमुख रूप से मोर्चा संभाल सकते हैं।
संसद के मॉनसून सत्र का पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद सोमवार 28 जुलाई से सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष के बीच दो बड़े मुद्दों पहलगाम आतंकी हमला और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर तीखी बहस होने की संभावना है। दोनों पक्षों ने लोकसभा और राज्यसभा में 16-16 घंटे की चर्चा पर सहमति जताई है, जिससे संसद के इस सप्ताह में गरमा गर्म बहस तय मानी जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार की ओर से गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रमुख रूप से मोर्चा संभाल सकते हैं। वहीं, विपक्ष की ओर से राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अखिलेश यादव जैसे वरिष्ठ नेता सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के मुद्दों पर घेरने की तैयारी में हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बहस में हस्तक्षेप कर सकते हैं। वे अपनी सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर ‘मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड’ को सदन के सामने रख सकते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार का रुख
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अभियान को “100 प्रतिशत सफल” बताया और कहा कि इससे भारत के स्वदेशी हथियारों की ताकत दुनिया के सामने आई। भारत का दावा है कि इस कार्रवाई में पाकिस्तान के कई एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचा।
ट्रंप की ‘मध्यस्थता’ और अंतरराष्ट्रीय समर्थन पर बहस
विपक्ष इस बहस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मध्यस्थता के दावों को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि भारत को ऑपरेशन सिंदूर के लिए अपेक्षित अंतरराष्ट्रीय समर्थन नहीं मिला। इस बीच, कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जिन्होंने अमेरिका समेत कई देशों में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, को पार्टी की ओर से वक्ता बनाए जाने पर संशय बरकरार है, क्योंकि उन्होंने हमले के बाद सरकार की कार्रवाई का समर्थन किया था।
मतदाता सूची विवाद भी बना गतिरोध
संसद में गतिरोध का एक और बड़ा कारण बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया है। विपक्ष का दावा है कि इस कवायद के पीछे चुनावी लाभ का मकसद है, जबकि चुनाव आयोग इसे एक नियमित प्रक्रिया बता चुका है। सरकार का कहना है कि इस मुद्दे पर अलग से चर्चा संभव है, लेकिन अभी का फोकस राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर बहस पर होगा।
आगे क्या?
इस सप्ताह संसद में पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर और चुनावी प्रक्रियाओं को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच जबरदस्त राजनीतिक टकराव देखने को मिल सकता है। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि कौन से नेता किस रणनीति के साथ मैदान में उतरते हैं और संसद की बहस किस दिशा में जाती है।