खरगे ने कहा कि जब हमने गरीबों, महिलाओं, दलितों और वंचितों पर अत्याचार तथा हिंदू-मुस्लिम टकराव जैसे मुद्दों पर नोटिस देकर मुद्दे उठाने की कोशिश की, तो उन्होंने हमें मौका नहीं दिया। यह (धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे का कारण) उनके और मोदी के बीच का मामला है। हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रविवार को कहा कि उन्हें जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने की असली वजह के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि धनखड़ को बताना होगा कि असली में क्या हुआ था, क्योंकि मामला उनके और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच का है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि धनखड़ ने हमेशा सरकार का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि जब भी विपक्ष ने मुद्दे उठाने की कोशिश की, चाहे वह किसानों या गरीबों से संबंधित हो या विदेश नीति से जुड़ा हो, उन्होंने कभी भी विपक्ष को ऐसा करने की अनुमति नहीं दी।
यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या धनखड़ को किसानों के पक्ष में बोलने के कारण इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा, खरगे ने कहा, ”मुझे ये सब जानकारी नहीं है। वह (धनखड़) हमेशा सरकार के पक्ष में रहे। उन्हें बताना चाहिए कि क्या हुआ था।” खरगे ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ”जब हमने किसानों, गरीबों, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों या विदेश नीति से संबंधित कई मुद्दे उठाए तो उन्होंने (राज्यसभा में सभापति के तौर पर) हमें कभी मौका नहीं दिया।”
उन्होंने कहा, ”जब हमने गरीबों, महिलाओं, दलितों और वंचितों पर अत्याचार तथा हिंदू-मुस्लिम टकराव जैसे मुद्दों पर नोटिस देकर मुद्दे उठाने की कोशिश की, तो उन्होंने हमें मौका नहीं दिया। यह (धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे का कारण) उनके और मोदी के बीच का मामला है। हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।” धनखड़ ने 21 जुलाई की शाम अचानक चिकित्सा कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे राजनीतिक हलकों में अटकलें तेज हो गईं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि वह ‘‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने’’ के लिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष को बदलने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में खरगे ने कहा, ”ये सारी बातें अभी नहीं कही जा सकतीं। बाद में बोलेंगे।” वर्तमान में, उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार विस्तारित कार्यकाल के लिये कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष पद पर हैं। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर उन्हें बदलने की आवाज उठ रही है, क्योंकि वह दो प्रमुख पदों पर हैं।