एनसीपी (एसपी) सुप्रिया सुले ने कहा, ‘यह पता लगाया जाना चाहिए कि स्कीम का लाभ लेने के लिए इन आदमियों के नाम किसने दर्ज कराया।’ उन्होंने कहा कि सरकार छोटे-छोटे आरोपों में भी सीबीआई या ईडी जांच शुरू कर देती है।
एनसीपी (एसपी) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि स्कीम के तहत लगभग 14,000 पुरुषों को लाभ मिला है। सुले ने इसकी सीबीआई जांच की मांग कर दी। वहीं, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर ऐसे लाभार्थी पाए गए तो उनसे पैसा वसूला जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए सुप्रिया सुले ने कहा, ‘अगस्त 2024 में शुरू की गई लाडकी बहिन योजना के लाभार्थियों की लिस्ट में करीब 14 हजार पुरुष पाए गए और उन्हें लगभग 21 करोड़ रुपये बांटे गए हैं।’
पुणे में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सुप्रिया सुले ने कहा, ‘यह पता लगाया जाना चाहिए कि स्कीम का लाभ लेने के लिए इन आदमियों के नाम किसने दर्ज कराए।’ उन्होंने कहा कि सरकार छोटे-छोटे आरोपों में भी सीबीआई या ईडी जांच शुरू कर देती है। अब उसे सीबीआई जांच की घोषणा करनी चाहिए ताकि यह पता लगे कि किस ठेकेदार ने इन पुरुषों का नामांकन किया। उन्होंने कहा कि राज्य में सत्ताधारी गठबंधन सरकार को इस पर जल्द से जल्द ऐक्शन लेना होगा।
अजीत पवार का क्या है जवाब
राज्य में वित्त पोर्टफोलियो संभालने वाले अजीत पवार ने कहा, ‘किसी भी पुरुष को लाभार्थियों में शामिल करने का कोई कारण नहीं है। अगर ऐसे आदमी हैं तो हम उनकी ओर से अब तक प्राप्त राशि की वसूली करेंगे। यदि वे सहयोग नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।’ उन्होंने कहा कि लाडकी बहिन योजना विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं के लिए है। योजना के लाभार्थियों की जांच के दौरान कुछ महिलाओं को नौकरी होने के बावजूद योजना के तहत पैसा मिलता पाया गया। उनके नाम हटा दिए गए हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्री की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने शनिवार रात अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट किया। इसमें बताया गया कि आईटी विभाग के डेटा के अनुसार, लाडकी बहिन योजना के 26.34 लाख लाभार्थी इसके लिए पात्र नहीं थे। कुछ मामलों में पुरुषों ने भी आवेदन किया था। इनके लाभ अस्थायी रूप से निलंबित कर दिए गए हैं। तटकरे ने कहा कि जिला कलेक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर पात्र लोगों के लाभ फिर से शुरू किए जाएंगे।