रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
यूक्रेन के साथ पिछले तीन से साल ज्यादा से युद्ध लड़ रहे रूस के लिए इंटरनेट पर देखा जाने वाला कई तरह कंटेंट भी खतरा बन गया है. शुक्रवार को रूस के अपर हाउस ने एक नए सेंसरशिप कानून को मंजूरी दी है, जिसके तहत आधिकारिक तौर पर ‘चरमपंथी’ करार दी गई सामग्री को सर्च या एक्सेस करते हुए पकड़े जाने पर जुर्माना लगाया जाएगा.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साइन के बाद यह कानून लागू हो जाएगा. यह कानून यहीं नहीं रुकता है, बल्कि VPN सेवाओं को बढ़ावा देने पर भी जुर्माना लगाएगा है. रूस में कई लोग रूस सरकार की ओर से बैन किए गए कंटेंट को देखने के लिए VPN इस्तेमाल करते हैं. रूस में बैन कंटेंट तक पहुंचने के लिए VPN एकमात्र उपाय है. कई लोग रूस सरकार के इस कदम को फ्रीडम ऑफ स्पीच के खिलाफ मान रहे हैं.
रूस की संसद के बाहर प्रदर्शन
इस कानून को दुनिया में ही नहीं रूस के अंदर भी खुलकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. रूस के निचले सदन, स्टेट ड्यूमा की ओर से 22 जुलाई को इस कानून को पास किए जाने के बाद, लोगों के एक छोटे ग्रुप ने लंबे समय के बाद पहली बार रूसी संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. जिसमें एक बैनर पर लिखा था, “बिना सेंसरशिप वाले रूस के लिए, ऑरवेल ने एक डायस्टोपिया लिखा था, कोई मैनुअल नहीं.” पुलिस ने इस बैनर को लिए शख्स को तुरंत हिरासत में ले लिया.
1949 में पब्लिश जॉर्ज ऑरवेल के क्लासिक डायस्टोपियन उपन्यास “1984 को व्यापक रूप से अधिनायकवादी शासन के खिलाफ चेतावनी के रूप में व्याख्यायित किया जाता है, जो लेखक की ओर से नाजीवाद और स्टालिनवाद में देखे गए सरकारी उत्पीड़न से प्रेरित है.
रूस में ‘चरमपंथी’ कंटेंट क्या है?
यह नया कानून उन दर्जनों सेंसरशिप कानूनों के बाद आया है, जो स्टेट ड्यूमा ने 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले से पहले और बाद में पारित किए हैं. इस कानून के मुताबिक अब ऑनलाइन तथाकथित ‘चरमपंथी सामग्री’ खोजना भी एक प्रशासनिक अपराध माना जाएगा, जिसके लिए 64 डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.