बेंजामिन नेतन्याहू और ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई
ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत से बंदूकधारियों के हमले ने पूरे ईरान को दहला दिया है. इस खबर से सवाल उठने लगे हैं कि क्या इजराइल ने ईरान के अंदर अपना प्रॉक्सी प्लान एक्टिवेट कर दिया है. क्या ईरानी सरकार के खिलाफ विद्रोही गुटों के सक्रिय कर दिया गया है. क्योंकि मोसाद के बड़े ऑपरेशन के बाद अगला चरण विद्रोहियों से हमले कराना था. जिस तरह ईरान ने इजराइल पर हमलों के लिए हिजबुल्लाह और हूती का इस्तेमाल किया, क्या उसी तरह इजराइल अब इन गुटों का इस्तेमाल कर रहा है?
ईरानी मीडिया के मुताबिक 6 लोग हमले में मारे गए, 22 घायल हो गए हैं. जाहेदान के एक कोर्ट हाउस में हथियारबंद हमलावरों ने घुसने की कोशिश की. एक आत्मघाती हमलावर भी था, जिसने बारूद से भरी जैकेट पहनी थी. हमले की जिम्मेदारी जैश अल-अद्ल ने ली है. जाहेदान में जो हुआ उसके पीछे जैश अल अद्ल का हाथ है.
क्या है जैश अल अद्ल?
दरअसल जैश अल अद्ल बलूच विद्रोहियों का गुट है. जो 2012 में शुरू हुआ था. सुन्नी मुसलमानों और बलोच पहचान वाला विद्रोहियों का सबसे बड़ा गुट फिलहाल यही माना जा रहा है. इस गुट का मुखिया अब्दुल मलिक मुल्लाजादेह है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा के पास सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत ईरान के सुन्नी मुस्लिम बलोच अल्पसंख्यकों का घर है. जो लंबे वक्त से आर्थिक हाशिए पर होने और राजनीतिक बहिष्कार की शिकायत करते रहे हैं.
विद्रोही गुटों के एक्टिवेट करने का प्लान
इस प्रांत में ईरानी फोर्सेस और अद्ल लड़ाकों के बीच अक्सर झड़पें होती रहती हैं, लेकिन जब ईरान और इजराइल की जंग शुरू हुई तभी ईरान के अंदर मोसाद ने विद्रोही गुटों के एक्टिवेट करने का प्लान तैयार कर लिया था. यानी इजराइल ने उसी नीति को लागू करने का प्लान तैयार किया जिस नीति से ईरान इजराइल पर हमले कराता रहा है.
ईरानी खुफिया एजेंसी भी ये मानती है कि जाहेदान के हमलों के पीछे इजराइल की खुफिया एजेंसी हो सकती है. ईरानी मीडिया की रिपोर्ट्स हैं कि जैश अल अद्ल का इजराइल कनेक्शन भी है. तन्सीम न्यूज एजेंसी ने रिपोर्ट जारी की है कि इजराइल 2024 से जैश अल अद्ल को फंडिंग कर रहा है.
जैश अल अद्ल का इजराइल कनेक्शन
2024 में इजरायली समूह जैश अल-अद्ल को फंडिंग कर रहे थे. जैश अल-अद्ल ने फंड लेने के लिए एक क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट का एड्रेस जारी किया था. इजराइली गुटों ने इस वॉलेट का एड्रेस इंटरनेट पर खूब साझा किया था. इजराइली सोशल मीडिया अकाउंट्स ने लिखा था कि इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट ईरान के खिलाफ स्वतंत्रता सेनानियों का है. जितना हो सके उनका समर्थन करें. संभव है कि इजरायल ने क्रिप्टो के जरिए बलोच संगठन को मदद भी दी हो.
ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष