कुछ दिनों की शांति के बाद एक बार फिर ईरान धमाकों से गूंज उठा है. ईरान के जाहेदान में एक खतरनाक आतंकी हमला हुआ है. महर न्यूज एजेंसी के मुताबिक आतंकियों ने जाहेदान की एक कोर्ट में ताबड़तोड़ फायरिंग की जिसमें लगभग 5 लोगों की मौत हुई है और 13 लोगों के घायल हैं. जाहेदान शहर ईरान के अशांत सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, जहां अकसर आतंकी घटनाएं सामने आती रहती हैं. ये इलाका पाकिस्तान सीमा से बेहद करीब है.
इस हमले की जिम्मेदारी इजराइल या अमेरिका ने नहीं बल्कि एक ऐसे संगठन ने ली जिसके तार पाकिस्तान तक फैलें हैं. मैहर न्यूज एजेंसी के मुताबिक इस हमले की जिम्मेदारी जैश अल-अदल नामक आतंकी संगठन ने ली है. ये एक कट्टर सुन्नी चरमपंथी संगठन है और पहले भी कई हमलों में शामिल रहा है. इस संगठन का मकसद सिस्तान और बलूचिस्तान को ईरान से आजाद कराना है.
Terrorist attack by unidentified gunmen on a courthouse in Iran’s southeastern city of Zahedan has left several people injured and the building evacuated.
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— PressTV Extra (@PresstvExtra) July 26, 2025
कितना खतरनाक है जैश अल-अदल (Jaysh al-Adl)?
जैश अल-अदल की स्थापना 2012 में हुई थी. इस संगठन को जुनदुल्लाह (Jundallah) नामक एक अन्य सुन्नी उग्रवादी समूह के सदस्यों की ओर से बनाया गया था, जिस के नेता अब्दोलमालेक रीगी को ईरान सरकार ने गिरफ्तार कर 2010 में फांसी देकर कमजोर कर दिया था.
इस संगठन के लड़ाकों की अनुमानित संख्या 500 से 600 हैं. यह संख्या अलग-अलग रिपोर्टों में अलग-अलग बताई गई है और संगठन का आकार अन्य बलूच अलगाववादी समूहों की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा है. फिर इस संगठन ने ईरान में कई हमलों को अंजाम दिया है.
ईरान से क्यों है दुश्मनी?
जैश अल-अदल का ईरान के साथ दुश्मनी के कई कारण हैं. जैश अल-अदल एक बलूच सुन्नी जिहादी संगठन है जो ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत और पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में सक्रिय है. यह समूह सिस्तान-बलूचिस्तान को एक अलग राष्ट्र बनाना चाहता है और खुद को बलूच लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला बताता है. ईरान में रहने वाले बलूच ज्यादातर सुन्नी मुस्लिम हैं, जिनका मानना है कि शिया-प्रधान ईरान में उनके साथ भेदभाव होता है.
ईरान से संघर्ष की वजह सुन्नी-शिया तनाव भी है. जैश अल-अदल एक सलाफी-वहाबी विचारधारा को मानने वाला संगठन है जो शिया बहुल ईरानी सरकार को निशाना बनाता है.
पाकिस्तान की कमजोर सुरक्षा से पल रहा संगठन
जैश अल-अदल को अपने ऑपरेशन चलाने और लड़ाको को ट्रेन करने के लिए पाकिस्तान के बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की कमजोर पकड़ भी मददगार साबित होती है. यहां कई आतंक संगठनों के ठिकाने हैं. सिस्तान-बलूचिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा करीब 900 किमी की है. जो जैश अल-अदल को सीमा पार हमले करने में मदद करती है. ईरान का दावा है कि पाकिस्तान इस समूह को पनाह देता है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव भी रहता है.