भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे भगोड़ों को तेजी से वापस लाने के लिए ठोस कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों और संगठित अपराधियों को वापस लाना सुरक्षा…
भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे भारत से भागे अपराधियों और आरोपियों को वापस लाने के लिए तेजी से काम करें.नई दिल्ली में आयोजित नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटिजीज कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने देशभर के वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे आतंकवाद और तस्करी में संलिप्त भगोड़े अपराधियों को भारत वापस लाने के लिए ठोस और तेज कार्रवाई करें.भारतीय मीडिया के मुताबिक भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्य स्तर की एजेंसियां समन्वित तरीके से ऐसे तत्वों को काबू में लाएं जो देश के बाहर से भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचा रहे हैं.शाह ने कहा कि आतंकी गतिविधियों और संगठित अपराधों से जुड़े जिन अपराधियों ने देश से भागकर विदेशों में शरण ली है, उन्हें वापस लाना भारत की सुरक्षा रणनीति का एक अहम हिस्सा होना चाहिए.उन्होंने गृह मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग, कूटनीति और तकनीकी निगरानी की संयुक्त रणनीति अपनाए.साथ ही, यह भी कहा गया कि एनक्रिप्टेड कम्युनिकेशन चैनलों और टेरर फाइनेंसिंग नेटवर्क्स को ट्रैक करने के लिए एक स्थायी और समर्पित एजेंसी स्थापित की जाए. शाह ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत की पुलिस और जांच एजेंसियां अब स्वदेशी तकनीक को अपनाएं और डाटा विश्लेषण तथा डिजिटल निगरानी के नए उपकरणों का उपयोग कर घरेलू आतंकी-अपराधी गठजोड़ को तोड़ने की दिशा में काम करें.उन्होंने कहा, “हमें केवल अपराध से नहीं, बल्कि आपराधिक मानसिकता और उसके नेटवर्क से लड़ना है”5 साल में 134 भगोड़े लाए गएगृह मंत्री के इस आह्वान का संदर्भ तब और प्रासंगिक हो जाता है जब यह देखा जाए कि सीबीआई ने पिछले पांच वर्षों (2020–2025) में कुल 134 भगोड़ों को विदेशों से भारत वापस लाने में सफलता हासिल की है, जो पिछले दशक के 74 की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है.इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अकेले 2025 में ही 23 भगोड़े भारत लाए जा चुके हैं.यह बढ़त भारत सरकार की “भारतपोल” डिजिटल प्रणाली, इंटरपोल के साथ त्वरित समन्वय और कानूनी टीमों के सतत प्रयासों का परिणाम है.इस सफलता की एक बड़ी मिसाल है तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण.2008 के मुंबई आतंकी हमलों से जुड़े इस आरोपी को अमेरिका से अप्रैल 2025 में भारत लाया गया. यह पहला मौका था जब भारत ने किसी टेरर केस में अमेरिका से प्रत्यक्ष प्रत्यर्पण हासिल किया.वहीं जोगिंदर ग्योंग नाम के एक शातिर गैंगस्टर को फिलीपींस से पकड़कर दिल्ली लाया गया.इसके अलावा तमिलनाडु से और गुजरात से जुड़े दो भगोड़े अमेरिका और थाईलैंड से गिरफ्तार कर भारत लाए गए.नई नीति, नई कोशिशलेकिन चुनौती अभी समाप्त नहीं हुई है.भारत सरकार नीरव मोदी, ललित मोदी और विजय माल्या जैसे आर्थिक अपराध के आरोपियों के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन सरकार पर दबाव बना रही है.ब्रिटेन में चल रही लंबी कानूनी प्रक्रियाओं के बावजूद, इन मामलों को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय सक्रिय भूमिका निभा रहा है. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने हाल में बताया कि इन नामों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लंदन दौरे से पहले उच्च प्राथमिकता पर रखा गया था.इसके अतिरिक्त नेहल मोदी (नीरव मोदी के भाई), मेहुल चोकसी, नितिन संदेसी, जतिन मेहता, सभ्य सेठ जैसे नाम भी प्रत्यर्पण सूची में हैं.ये आर्थिक अपराधों से जुड़े हैं और विभिन्न देशों में शरण लिए हुए हैं.भारत सरकार ने इनमें से कई के खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस जारी करवाए हैं और इन पर “फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर” घोषित करने की प्रक्रिया भी तेज की गई है.भारत की नई “भारतपोल” प्रणाली और गृह मंत्रालय की स्पष्ट प्राथमिकताओं के चलते अब प्रत्यर्पण की प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक तेज और प्रभावी होती जा रही है.